चंपा एक सुंदर और खुशबूदार पौधा है जिसे आप अपने घर पर आसानी से उगा सकते हैं. इस लेख में, हम आपको चंपा को घर पर उगाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स देंगे
चंपा (Frangipani) एक सुंदर और खुशबूदार पेड़ है जो भारत में बहुत लोकप्रिय है। इसे “फांसी जास्मीन” या “केसर जास्मीन” के नाम से भी जाना जाता है। चंपा 10-15 फीट तक ऊंचा हो सकता है और इसमें सफेद, गुलाबी या पीले रंग के फूल होते हैं। फूलों की खुशबू बहुत ही मनमोहक होती है और रात में और भी अधिक होती है।
चंपा लगाना बहुत आसान है। आप इसे किसी भी नर्सरी से खरीद सकते हैं या बीज से भी उगा सकते हैं।यदि आप इसे नर्सरी से खरीद रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि पौधा स्वस्थ और अच्छी तरह से विकसित हो।
चंपा को आप १२ से २० इंच के गमले में भी ग्रो कर सकते है।बाक़ी सभी स्टेप्स एक से ही होंगें।
चंपा लगाने के लिए सबसे अच्छा समय मानसून के बाद का होता है। इस समय मौसम नमी से भरपूर होता है, जो पौधे के लिए अनुकूल होता है।
चंपा लगाने के लिए एक ऐसी जगह का चयन करें जो धूप से भरपूर हो. पौधा छाया में भी उग सकता है, लेकिन फूलों की संख्या कम हो जाएगी।
चंपा को अच्छी तरह से सूखा हुआ मिट्टी में लगाएं। मिट्टी में अच्छी मात्रा में जैविक पदार्थ होना चाहिए. आप मिट्टी में वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद मिला सकते हैं।
चंपा की देखभाल:
चंपा एक बहुत ही देखभाल करने वाला पौधा है। आप इसे आसानी से अपने घर पर लगा सकते हैं और इसका आनंद ले सकते हैं।
पानी देना:
चंपा को हर दिन पानी देने की जरूरत होती है, खासकर गर्मियों के महीनों में। सर्दियों में, आप पौधे को कम पानी दे सकते हैं।
उर्वरक देना:
चंपा को बढ़ने के लिए उर्वरक की जरूरत होती है। आप पौधे को हर महीने उर्वरक दे सकते हैं।
कीटनाशक और कवकनाशक (insecticides and fungicides) का इस्तेमाल करना:
चंपा को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए, इसे नियमित रूप से कीटनाशक और कवकनाशक (insecticides and fungicides) से स्प्रे करें।
सर्दियों में ठंड से बचाना:
चंपा को सर्दियों में ठंड से बचाना चाहिए। आप पौधे को एक ऐसी जगह पर रख सकते हैं जो ठंड से सुरक्षित हो।
चंपा की बीमारियां और कीट:
रस्ट: यह एक कवक रोग है जो चंपा के पत्तों और फूलों को प्रभावित करता है। इस रोग से पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं और फूल सूख जाते हैं।
मिल्ड्यू: यह भी एक कवक रोग है जो चंपा के पत्तों और फूलों को प्रभावित करता है। इस रोग से पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर जैसा पदार्थ हो जाता है और फूल सूख जाते हैं।
स्केल: यह एक कीट है जो चंपा के पत्तों और तने पर चिपक जाता है। यह कीट रस चूसता है और पौधे को कमजोर कर देता है।
एफिड: यह भी एक कीट है जो चंपा के पत्तों पर चिपक जाता है। यह कीट रस चूसता है और पौधे को कमजोर कर देता है।
चंपा के कीटों के बारे में कुछ और जानकारी यहाँ दी गई है:
थ्रिप्स: थ्रिप्स छोटे, पंख वाले कीट हैं जो चंपा के पत्तों और फूलों को खाते हैं। इससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं और फूल मुरझा जाते हैं। थ्रिप्स को हटाने के लिए आप साबुन और पानी के घोल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
माइट्स: माइट्स भी छोटे, पंख रहित कीट हैं जो चंपा के पत्तों को खाते हैं। इससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं और फूल मुरझा जाते हैं। माइट्स को हटाने के लिए आप नीम के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
लीफ माइनर: लीफ माइनर छोटे कीट हैं जो चंपा के पत्तों में सुरंग बनाते हैं। इससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं और फूल मुरझा जाते हैं। लीफ माइनर को हटाने के लिए आप कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
यदि आप इन बीमारियों और कीटों को देखते हैं, तो आपको तुरंत कीटनाशक और कवकनाशक (insecticides and fungicides) का इस्तेमाल करना चाहिए। आप इन बीमारियों और कीटों को रोकने के लिए चंपा को ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जो धूप से भरपूर हो और अच्छी तरह से हवादार हो। आप चंपा को नियमित रूप से पानी देना चाहिए और उर्वरक देना चाहिए।
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