लखनऊ: प्रदेश में गौ आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम (28 से 30 सितंबर) प्रशिक्षण और अध्ययन के लिए एक दल कुरुक्षेत्र के गुरुकुल जाएगा। इस दल में कृषि, गन्ना, उद्यान मंत्री, राज्य कृषि मंत्री समेत विभाग के अधिकारी, वैज्ञानिक और किसान शामिल होंगे। प्रदेश में प्राकृतिक खेती के विकास के लिए उत्तर प्रदेश प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह जानकारी सोमवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने लोकभवन के मीडिया सेंटर में दी।

कृषि मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में प्रदेश में गौ आधारित प्राकृतिक खेती, जीवामृत, बीजामृत पर आधारित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए योगी सरकारी कई योजनाएं भी चला रही है। इसी क्रम में इसे बढ़ाने के लिए प्रदेश का एक दल प्राकृतिक खेती के अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए कुरुक्षेत्र के गुरुकुल जाएगा। इस दल में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह, राज्य कृषि मंत्री, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव कृषि दिनेश चतुर्वेदी, गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. संजय आर भूसरेड्डी, कृषि से संबंधित विभिन्न विभाग के निदेशक, प्रदेश के सभी चार राज्यपोषित कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र के एक वैज्ञानिक जो प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं आदि शामिल होंगे। इसके अलावा दल में प्रदेश के बीस से पच्चीस किसान, राज्य प्रशिक्षण केंद्र रेहमानखेड़ा के निदेशक और बीज विकास निगम के प्रबंधन निदेशक भी अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए जाएंगे। दल में शामिल सभी सदस्यों को तीन दिवसीय कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर के रूप में ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग से लौटने के बाद सभी लोग अपने जनपदों में दूसरों को ट्रेनिंग देंगे। इसके साथ ही विभिन्न चरणों में नौ क्लाइमेटिक जोन और 75 जनपदों के लिए दूसरे दल को भेजा जाएगा।

2 लाख से अधिक हेक्टेयर पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा और उसके विकास के लिए उत्तर प्रदेश प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह बाेर्ड प्राकृतिक खेती के लिए लोगों का मार्गदर्शन करने और गाइडलाइन बनाने का काम करेगा। वहीं अगले तीन वर्षों में राज्य और केंद्रीय सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से खासकर बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती, नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग, परंपरागत कृषि विकास योजना, नमामि गंगे योजना और हमीरपुर जैविक खेती के लिए करीब 2,14,390 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है, जिसे अभियान चलाकर शुरू किया जाएगा। इस पर अगले चार वर्षों में 3,97 करोड़ 21 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश में मोटे अनाजों के उत्पादन पर भी बल दिया जा रहा है। इसीलिए इस फसली सीजन में 24 जिलों में मक्के और18 जिलों में बाजरे की खरीद होगी।


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