मुख्यमंत्री ने कृषक उत्पादक संगठनों के उत्पादों की प्रदर्शनी का किया शुभारंभ
- कृषकों एवं कृषि उद्यमियों व कृषि वैज्ञानिकों का किया सम्मान एवं पुरस्कार वितरण
- कृषि विकास दर को बढ़ाने में कृषक उत्पादक संगठनों की होगी अहम भूमिकाः सीएम
- प्रदेश की हर कमिश्नरी और कृषि विज्ञान केंद्र में हो कृषि उत्पादों के सर्टिफिकेशन की लैबः मुख्यमंत्री
लखनऊ। हमें उत्तर प्रदेश को देश की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन के रूप में आगे बढ़ाना है तो हमें कृषि विकास की दर को वर्तमान दर से दोगुना करना होगा। उत्तर प्रदेश में इसकी क्षमता है। देश की आबादी का 16 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में है तो 11 प्रतिशत कृषि भूमि है। यह देश में सबसे उर्वरा भूमि है। सबसे अच्छा जल संसाधन भी हमारे पास है। पूरे देश के कुल खाद्यान्न का 20 फीसदी उत्तर प्रदेश से आता है। अगर हम अपने संसाधनों का सही नियोजन कर लें तो हम इसे और आगे बढ़ा सकते हैं। इसमें कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की भूमिका अहम होगी। यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में किसान सम्मान दिवस के अवसर पर एफपीओ के उत्पादों की प्रदर्शनी का शुभारंभ एवं कृषकों, कृषि उद्यमियों व कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित एवं पुरस्कृत करते हुए कहीं। किसान सम्मान दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
चौधरी चरण सिंह की दूरदृष्टि अन्नदाता किसान के लिए है मार्गदर्शक
अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब जानते हैं कि आजादी के तत्काल बाद चौधरी साहब ने स्पष्ट कर दिया था कि यदि भारत को दुनिया की एक ताकत के रूप में उभरना है तो देश के अंदर खेती और किसानी पर ध्यान देना होगा। भारत के विकास का मार्ग खेत और खलिहान से निकलेगा। उनके इस दूरदर्शी दृष्टि आजाद भारत के किसानों और किसान परिवारों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में है। चौधरी जी के सपनों को साकार करने के लिए और अन्नदाता किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए, उनकी आमदनी को दोगुना करने के लिए 2014 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने कई कार्यक्रम प्रारंभ किए। जो धरती माता हम सबको पेट भरने और स्वावलंबन व सम्मान का आधार बनती है उस धरती माता की सेहत की रक्षा के लिए स्वाइल हेल्थ कार्ड की व्यवस्था प्रारंभ की। पहली बार फसल किसान बीमा योजना की शुरुआत हुई। योजनाओं की शुरुआत के साथ उनका सही तरह से क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया गया।
आज कृषि विकास दर आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं अन्नदाता किसान
उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए किए गए कार्यों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में विगत साढ़े 5 वर्ष में हमने कई कार्यक्रम प्रारंभ किए। सबसे पहले मार्च 2017 में 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपए कर्ज माफी के कार्यक्रम को अपने हाथों में लिया। लगभग 22 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाई। पीएम किसान सम्मान निधि हो या लागत का डेढ़ गुना एमएसपी लागू करने का कार्य हो, ये सभी प्रभावी ढंग से लागू हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अंदर 2.60 करोड़ किसानों के खाते में अब तक 51 हजार करोड़ रुपए की राशि भेजी जा चुकी है। प्रदेश के अंदर धान, बीज, दलहन, तिलहन इन सभी क्षेत्रों में रिकॉर्ड मात्रा में बिना किसी बिचौलिए के उनके उत्पाद का क्रय किया गया। वहीं उन्हें एमएसपी डीबीटी के माध्यम से उनके अकाउंट में देने का काम किया गया। कोरोना महामारी के दौरान भी चीनी मिलों को बंद नहीं होने दिया गया। पिछली सरकारों में तमाम चीनी मिलों को बेचा गया था, लेकिन इस सरकार में चीनी मिलें बेची नहीं गईं, बल्कि नई चीनी मिलें लगाई गई हैं। जो चीनी मिलें जर्जर अवस्था में थीं वहां नई मिलों की स्थापना कराई गई। कई चीनी मिलों का विस्तार किया गया।
प्राकृतिक खेती से बचत भी और उत्पादकता भी
प्रदेश में प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश के अन्नदाता किसानों को नेशनल नेचुरल फार्मिंग के रूप में खेती का एक नया कांसेप्ट दिया है। प्राकृतिक खेती का अनुभव काफी कुछ सिखाता है। इस बार मानसून देर से आया, लेकिन प्राकृतिक खेती से जुड़े अन्नदाता किसानों ने पहले से ही तैयारी की थी उनकी उत्पादकता अच्छी थी। एक एकड़ खेती में किसी किसान को फर्टिलाइजर, केमिकल और पेस्टिसाइड में 15 हजार का खर्चा आता है तो प्राकृतिक खेती में यह लागत मात्र एक हजार रुपए आती है। यानी एक एकड़ खेती में एक किसान को 14 हजार की बचत हो सकती है। समय-समय पर हम इस कार्यक्रम से जुड़े रहेंगे तो उतनी ही अच्छी उत्पाकदता भी बनी रहती है।
हर कमिश्नरी और कृषि विज्ञान केंद्र पर स्थापित हो सर्टिफिकेशन लैब
सीएम योगी ने प्राकृतिक खेती को सर्टिफिकेशन से जोड़ने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि हमने इसको सर्टिफिकेशन से भी जोड़ने का कार्य किया है। प्रदेश के अंदर हर कमिश्नरी स्तर पर एक लैब की स्थापना होनी चाहिए। हर कृषि विज्ञान केंद्र में भी एक लैब की स्थापना करें, जहां पर इसके सर्टिफिकेशन की कार्यवाही हो। यहां पर हम सर्टिफाई करें कि ये जो प्रोडक्ट है वो ऑर्गेनिक है। मार्केट में इसके दाम अच्छे मिलेंगे। प्रदेश में हमारे अन्नदाता किसान ने इसके अच्छे प्रयास किए हैं। प्रदेश के सभी गंगा के तटवर्ती 27 जनपद और बुंदेलखंड के सभी सातों जनपदों में हमने प्राकृतिक खेती के कार्यक्रम को भारत सरकार से जोड़कर मिशन मोड में आगे बढ़ाने का कार्य किया है। इसी का परिणाम है कि आज ढेर सारी संभावनाएं दिख रही हैं। हम ऑर्गेनिक फसलों को आगे बढ़ा सकते हैं। सब्जियों के उत्पादन और उसके एक्सपोर्ट प्रमोशन की कार्यवाही में हम अच्छे प्रयास प्रारंभ कर सकते हैं। तकनीक के माध्यम से भी अन्नदाता किसानों को पेस्टीसाइड के छिड़काव के लिए उसे मैनुअली कार्य करने की बजाय ड्रोन का उपयोग करते हुए समय और लागत की बचत कर सकते हैं।
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