कोदो में होता है चावल से तीन गुना कैल्सियम
सावां में चावल की तुलना में तीन गुना से अधिक फास्फोरस
अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के जरिए योगी सरकार बढ़ाएगी इनकी पूछ
मुख्यमंत्री के निर्देश पर तैयार कृषि विभाग ने तैयार की प्रचार-प्रसार की रणनीति
लखनऊ: सावां और कोदो लुप्तप्राय हो रहे अनाज हैं। आधुनिक पीढ़ी के अधिकांश लोगों को तो इनके नाम भी याद नहीं होंगे। खूबियां तो दूर की बात हैं। कहने को तो ये मोटे अनाज हैं, पर हैं खरे। वह भी हर लिहाज से। बात चाहे पोषक तत्तवों की करें या किसी भी तरह की मिट्टी और मौसम में उगने की। मसलन कोदो में चावल से तीन गुना अधिक कैल्सियम और सावां में चावल की तुलना में तीन गुना से अधिक फास्फोरस होता है।अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष-2022 के जरिए योगी सरकार इन मोटे पर खरे अनाजों की खूबियों के प्रति लोगो और किसानों को जागरूक करेगी।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 की घोषणा भारत के ही प्रस्ताव पर की है। लिहाजा इसमें भारत खासकर कृषि बहुल उत्तर प्रदेश की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में “मिलेट रिवॉल्यूशन” का जिक्र कर इस बाबत संकेत भी दे दिया था। वैसे भी भारत 2018 को मिलेट वर्ष के रूप में मना चुका है।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कृषि विभाग ने अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष में मोटे अनाजों के प्रति किसानों एवं लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की है।
इस दौरान राज्य स्तर पर दो दिन की एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसमें विषय विशेषज्ञ 250 किसानों को मोटे अनाज की खेती के उन्नत तरीकों, भंडारण एवं प्रसंस्करण के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। जिलों में भी इसी तरह के प्रशिक्षण कर्यक्रम चलेंगे।
फसल | फास्फोरस(मि॰ग्रा॰) | प्रोटीन (ग्रा॰ | कार्बोहाइड्रेट(ग्रा॰) | वसा(ग्रा॰) | क्रूड फाईबर(मि॰ग्रा॰) | आयरन | कैल्शियम(मि॰ग्रा॰) |
चावल | 6.8 | 78.2 | 0.5 | 0.2 | 0.6 | 10.00 | 60 |
सांवा | 11.6 | 74.3 | 5.8 | 14.7 | 4.7 | 14 | 121 |
कोदो | 8.3 | 63.9 | 1.4 | 9.00 | 2.6 | 27 | 188 |
खेती को प्रोत्साहन के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम
इसी क्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत जिन जिलों में परंपरागत रूप से इनकी खेती होती है उनमें दो दिवसीय किसान मेले आयोजित होंगे। हर मेले में 500 किसान शामिल होंगे। इसमें वैज्ञानिकों के साथ किसानों का सीधा संवाद होगा। खूबियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां निकाली जाएंगी। राज्य स्तर पर इनकी खूबियों के प्रचार-प्रसार के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी, एफएम रेडियो, दैनिक समाचार पत्रों, सार्वजिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर के जरिए आक्रामक अभियान भी चलाया जाएगा।
कठिन हालतों में उगने की क्षमता के अलावा दोनों फसलें पोषक तत्वों का खजाना हैं। कभी ये दोनों फसलें चावल के विकल्प के रूप में प्रयोग होती थीं। पर पोषक तत्वों के लिहाज से चावल इनके सामने कहीं ठहरता नहीं। कोदो में चावल की तुलना में करीब तीन गुना कैल्शियम मिलता है। इसी तरह चावल की तुलना में सावां में तीन गुने से अधिक फास्फोरस मिलता है।
वर्ष | क्षेत्रफल | उत्पादन | उत्पादकता |
2021 | 0.02 | 0.02 | 6.92 |
2022 | 0.04 | 0.04 | 10.00 |
2023 | 0.04 | 0.04 | 10.40 |
वर्ष | क्षेत्रफल | उत्पादन | उत्पादकता |
2021 | 0.05 | 0.03 | 6.47 |
2022 | 0.11 | 0.11 | 10.00 |
2023 | 0.11 | 0.11 | 10.40 |
स्रोत-कृषि विभाग। क्षेत्रफल लाख हेक्टेयर, उत्पादन लाख मैट्रिक टन और उत्पादन प्रति हेक्टेयर/प्रति कुंतल में।
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