सीएम ने कॉन्क्लेव से ठोस परिणाम आने की भी उम्मीद जताई
- सीएम ने अच्छाई पर हौसला अफजाई की तो कमियों पर भी ध्यान आकृष्ट कराया
- जीआईएस में हमें शिक्षा के ही केवल 1 लाख 57 हजार करोड़ के प्रस्ताव प्राप्त हो चुके
- ज्ञान जहां से भी आए, उसके लिए द्वार खुला रखेंः सीएम योगी
- सीएम बना तो इंसेफेलाइटिस पर कार्य किया, आज 95 फीसदी मौतों पर लगा अंकुश
लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी भारत की आध्यात्मिक व धार्मिक परंपरा का हृदय स्थल है और इसका प्रतिनिधित्व देश व दुनिया के सामने करता है। यूपी को असीम संभावनाओं वाला प्रदेश माना गया है। भारत ने वैश्विक मंच पर दुनिया को जो नेतृत्व दिया है, उसमें जिस क्षेत्र को हम विस्मृत कर देते हैं। वह शिक्षा का क्षेत्र है, जिसमें भारत विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित था और यूपी उसकी आधार भूमि थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को हायर एजुकेशन कॉन्क्लेव में शामिल हुए। सीएम ने कॉन्क्लेव से ठोस परिणाम आने की भी उम्मीद जताई।
सीएम ने कहा कि भारतीय मनीषा ने जब उद्घोष किया होगा कि आनो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वत, वह प्रेरणा थी कि ज्ञान जहां से भी आए, उसके लिए द्वार खुला रखो। 2020 में जब दुनिया कोरोना से त्रस्त थी, तब भी इस बात का अहसास आया होगा। उस समय पीएम मोदी ने देश को राष्ट्रीय शिक्षा नीति देकर पुरातन शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु होने के अहसास को प्रस्तुत किया। यूपी जैसे राज्यों में इस कॉन्क्लेव से ऐसे कार्यक्रम को भी बढ़ा सकते हैं। सीएम ने कहा कि हम समाज की जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते। मंत्री हो या आमजन, सबके लिए एक ही एक्ट व व्यवस्था है। हमारे पास अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी, डिजिटल लाइब्रेरी हो और अच्छा माहौल विश्वविद्यालय को दें, लेकिन ध्यान रखें कि भारतीय मूल्यों व आदर्शों से भटकाव की नौबत न आए। ध्यान रहना चाहिए कि ऐसे कोई कार्य न हो कि कैंपस में राष्ट्रीयता से विपरीत नई धारा को जन्म मिले।
जीआईएस के लिए अब तक शिक्षा के 1 लाख 57 हजार करोड़ के प्रस्ताव प्राप्त हो चुके
सीएम ने बताया कि जीआईएस में केवल शिक्षा के ही 1 लाख 57 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। नए विश्वविद्यालय व शिक्षा के केंद्र मॉडल के रूप में स्थापित होंगे। सीएम ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्लायों के कैंपस स्थापित करने की स्वतंत्रता दे रही है पर क्या हम इसके लिए तैयार हो पाए हैं। हमें नया माहौल देना होगा। हमने शोध की प्रक्रिया को बाधित क्यों किया। डाक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया की बाधा को हटाना पड़ेगा। इस दिशा में नए सिरे से काम करना होगा। इनोवेशन के लिए युवाओं को प्रेरित करना होगा।
दोगुनी हुई यूपी की अर्थव्यवस्था
सीएम ने कहा कि 5-6 वर्षों में यूपी ने लंबी यात्रा प्रारंभ की है। इस दौरान यूपी की अर्थव्यवस्था लगभग व प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हुई है। यहां न केवल कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतरीन हुई, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के भी नए मॉडल खड़े किए गए हैं। आज यूपी ने जब पीएम मोदी के विजन को बढ़ाने के लिए वन ट्रिलियन इकॉनमी बनाने की दिशा में नए प्रयास प्रारंभ किए हैं तो शिक्षा के क्षेत्र में असीम संभावनाओं को बढ़ाने में हम योगदान दे सकते हैं। उसे नई उड़ान देने के लिए यूपी में केंद्रीय, राज्य व निजी विश्वविद्यालय ने अच्छे प्रयास प्रारंभ किए हैं। रिसर्च के कुछ मॉडल दिए हैं। नए मानक गढ़े हैं। उस दिशा में विस्तृत मनन हो सके, ज्ञान का आदान-प्रदान कर सके, स्रोत व नवाचार को सूबे के हर कोने तक विस्तार देकर यूपी को फिर से शिक्षा के बेहतरीन केंद्र के रूप में विकसित कर सकें।
बड़े से बड़ा प्रोजेक्ट लेने के लिए हमें हाथ नहीं फैलाना होगा
सीएम ने कहा कि यूपी देश में रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। अपनी आय को दोगुना कर चुका है। हमें आज बड़े से बड़ा प्रोजेक्ट लेना हो तो हाथ नहीं फैलाना होगा, बल्कि राज्य अपने दम पर तत्परता से बढ़ सकता है। इसके लिए हमने यूपी की संभावनाओं को टटोला। हमने तीन सेक्टर को चिह्नित किया। यूपी के पास सबसे बड़ी उर्वरा भूमि है, सबसे अच्छा जल संसाधन है। पहले किसी को शासन की योजनाओं की जानकारी नहीं थी। छह वर्ष में प्रयास प्रारंभ हुए। देश की 16 फीसदी आबादी यूपी में है, लेकिन कृषि योग्य भूमि हमारे पास केवल 11 फीसदी है। इस भूमि में यूपी आज देश के लिए अकेले 20 फीसदी फूड खाद्यान्न उत्पादन कर रहा है। हमारे पास हर जनपद में आज कृषि विज्ञान केंद्र है। राज्य सरकार की तरफ से 4 कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं। इन्हें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के साथ ही नए रिसर्च प्रारंभ हुए। इन पर कार्य करेंगे तो यूपी में कृषि योग्य भूमि पर तीन गुना खाद्यान्न उत्पन्न करने का सामर्थ्य रखते हैं। इसके लिए कृषि के नए स्टार्ट अप स्थापित करने की दिशा में करना होगा और विश्वविद्लयों को केंद्र बिंदु बनाना होगा।
दम तोड़ रहा था एमएसएमई, हमने दी बड़ी ऊंचाई
सीएम ने कहा कि यूपी के पास एमएसएमई का सबसे बड़ा बेस था, लेकिन दम तोड़ रहा था। 2017 में वेतन देने के पैसे नहीं थे। हमने कार्य प्रारंभ कर उसे ओडीओपी के रूप में प्रमोट किया, ब्रांडिग की, बाजार दिया, नई डिजाइन व तकनीक दी। जो लोग पहले कैरोसीन व डीजल से संचालित करते थे, उन्हें बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई। परिणाम स्वरूप यूपी का एक्सपोर्ट दोगुने से ज्यादा हुआ। आज 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का एक्सपोर्ट एमएसएमई कर रहा है। इसमें भी नए स्टार्ट अप स्थापित करने की संभावना है। यूपी के पास 96 लाख यूनिट है। अलग-अलग जगह की अलग-अलग संभावनाएं हैं। यूपी के पास स्किल पावर है।
भारत में यूपी सबसे युवा राज्य है
सीएम ने कहा कि दुनिया में भारत सबसे युवा राष्ट्र है तो भारत में यूपी सबसे युवा राज्य है। सबसे अधिक युवा हमारे पास हैं। उनमें अनंत संभावनाएं हैं, उसे आगे बढ़ाना है। सीएम ने पूछा कि इंस्टीट्यूशन इंडस्ट्री के साथ शुरू से ही एमओयू क्यों नहीं होता है। इसके लिए प्रयास करना होगा।
विश्वविद्यालय लोकल स्थितियों पर क्यों काम नहीं कर सकते। बहुत बार देखता हूं कि बड़ा प्रोजेक्ट करना होता है तो सोशल इम्पैक्ट स्टडी करानी पड़ती है, यह काम हमारा एक भी विश्वविद्यालय क्यों नहीं कर पाता है। हमारी शिक्षा में कोई न कोई खामी जरूर होगी। हम सक्षम बनाने में विफल हुए हैं। हम चाहते हैं कि हमारे केंद्रीय, राज्य व निजी विश्वविद्यालय इस पर काम करें। हमारा पास स्टडी होनी चाहिए। उनके सामाजिक, भौगोलिक स्थिति का अध्ययन आपके पास होना चाहिए। यूएन 2030 तक सन्सटेनेबल डवलपमेंट गोल्स को अचीव करने का लक्ष्य दुनिया को देता है तो क्या यह कार्य सिर्फ सरकार का है, संस्थाएं इन जिम्मेदारियों को लेकर इस कार्यक्रम से जुड़ पाएंगी।
इंसेफेलाइटिस पर हमने 95 फीसदी से अधिक अंकुश लगाया
सीएम ने कहा कि लंबे समय तक गोरखपुर में सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। वहां इंसेफेलाइटिस से प्रतिवर्ष हजारों मौत होती थी। 40 वर्ष तक मौत का सिलसिला चलता रहा। पूर्वी यूपी के किसी विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज या डॉक्टर ने उस पर रिसर्च पेपर नहीं लिखा। मैं जूझता रहा, लड़ता रहा। सत्ता में थे तो सरकार का ध्यान आकर्षित करता था, लोगों को संसाधन उपलब्ध कराता था, विपक्ष में थे तो सड़कों पर आंदोलन करता था। 2017 में जब मुख्यमंत्री का दायित्व मिला तो मैंने कहा कि अब मुझे इसका समाधान निकालना होगा। मेरा अनुभव पास था, मैंने अंतर विभागीय समन्वय के लिए टीम बनाई। कहा कि उपचार से महत्वपूर्ण जागरूकता है। तब तक स्टडी नहीं थी। 40 वर्ष में 50 हजार मौत के बावजूद उस बीमारी पर कोई रिसर्च नहीं था। वहां के 10 हजार चिकित्सक निजी प्रैक्टिस करते हैं, वहां कई विश्वविद्यालय हैं, उनके पास कोई अध्ययन नहीं था, क्योंकि समाज से हमारा वैराग्य भाव था। हम समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भाव नहीं आता, हर व्यक्ति नौकरी तक खुद को सीमित कर लिया। इतने वर्षों के बाद जब हमने कार्य प्रारंभ किया तो सबसे पहले कुशीनगर में अभियान चलाया। वहां डेटाल कंपनी के साथ साबुन बांटे। मेरे खिलाफ तीन दिन तक मीडिया में अभियान चला कि गरीबों का अपमान हो रहा है। मैंने कहा कि बोलने की आवश्यकता नहीं, यह समझ न पाएंगे। हम जिस अभियान को लेकर चल रहे हैं। स्वच्छता के वृहद अभियान को मिशन मोड में उठा लिया। शुद्ध पेयजल की आपूर्ति कराई, शौचालय बनवाए, चिकित्सालयों की व्यवस्था को सुदृढ़ किया, सर्विलांस को बेहतर किया। परिणाम है कि जिस बीमारी से प्रतिवर्ष 12 00से 1500 मौत होती थी, आज हमने उस पर 95 से 97 फीसदी अंकुश लगाया। पहले स्टडी हुई होती तो कई बच्चों की जानें बच सकती थीं।
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