Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the web-stories domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/j1pf0zwyqhkx/postinshort.in/wp-includes/functions.php on line 6114
भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत है काशी तमिल संगमम : अमित शाह

काशी तमिल संगमम के समापन सत्र को गृहमंत्री अमित शाह ने किया संबोधित

वाराणसी, काशी तमिल संगमम भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत है। इस कार्य को आजादी के बाद ही शुरू कर देना चाहिए था, मगर नहीं किया गया। आदि शंकराचार्य के बाद भारत में उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये पहला सफल प्रयास है। मेरा अनुरोध है कि आप जब यहां से लौटें तो अपने साथ काशी से एक लोटे में गंगाजल लेकर जाएं और रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग पर अर्पित करें और दोबारा जब कभी काशी आएं तो रामेश्वरम से सागर की रेत लेकर आएं और मां गंगा में अर्पित करें। ये बातें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने काशी तमिल संगमम के समापन सत्र के दौरान कही। बीएचयू के एम्फी थियेटर ग्राउंड में 17 नवंबर से आयोजित काशी तमिल संगमम का शुक्रवार को समापन हो गया।

आजादी के बाद हमारी सांस्कृतिक एकता को मलिन करने का प्रयास किया गया
अपने उद्बोधन में अमित शाह ने कहा कि आज एक प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी की काशी तमिल संगमम की कल्पना की पूर्णाहुति होने जा रही है। मगर मैं कहना चाहता हूं कि ये पूर्णाहुति नहीं बल्कि शुरुआत है भारतीय संस्कृति के दो उत्तुंग शिखर तमिलनाडु और काशी की संस्कृति, भाषा, दर्शन, कला और ज्ञान के मिलन की। उन्होंने कहा कि लंबे गुलामी खंड में हमारी सांस्कृतिक एकता, विरासत की विविधता और अलग अलग संस्कृतियों के अंदर भारतीय आत्मा को कुछ हद तक मलिन किया था। उसके पुनर्जागरण की जरूरत थी, आजादी के तुरंत बाद ये प्रयास होना चाहिए था, मगर कई साल तक ये नहीं हुआ। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय सांस्कृतिक एकता के पुनर्जागरण का प्रयास किया है, इसके लिए उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद।

पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ने का प्रयास है काशी तमिल संगमम
अमित शाह ने कहा कि भारत अनेक संस्कृतियों, संस्कार, भाषा, मूल्य और कलाओं का देश है। मगर सबके बीच में बारीकी से देखें तो उसकी आत्मा एक है और वो आत्मा है भारत की। इसीलिए दुनियाभर के देशों के अस्तित्व और रचना का अभ्यास करने वाले विद्वान कहते हैं कि विश्व के सारे देश जियो पॉलिटिकल कारण से बने देश हैं, मगर भारत जियो कल्चरल देश है और संस्कृति के आधार पर बना है। क्योंकि हम भू सांस्कृतिक देश हैं, इसलिए हमारी एकात्मकता का आधार हमारी संस्कृतियां हैं। बहुत लंबे समय से हमारे देश की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ था। पीएम मोदी ने काशी तमिल संगमम के माध्यम से बहुत सदियों के बाद ये प्रयास किया है, मुझे भरोसा है कि ये आने वाले दिनों में ना केवल तमिलनाडु और काशी, बल्कि पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ने का अभिनव प्रयास साबित होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास को देखें तो दक्षिण से आकर आदि शंकर ने यहां अपने ब्रह्म सूत्र की टीकाओं को काशी के विद्वानों के बीच में स्वीकृति दिलाई थी। इसके बाद दोनों संस्कृतियों को जोड़ने का प्रधानमंत्री मोदी का ये पहला सफल प्रयास है। मुझे भरोसा है कि ये प्रयास कभी समाप्त नहीं हो सकता। यहां से ये प्रयास शुरू हो रहा है।

यहीं से भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत होने वाली है
गृहमंत्री ने एक बार फिर इस बात पर जोर दिया कि आजादी के बाद एक समय ऐसा आया कि देश की सांस्कृतिक एकता के बीच में जहर घोलने का प्रयास किया गया। कई प्रकार से दोनों संस्कृतियों को विमुख करने का प्रयास किया गया। वक्ता आ गया है एक भारत श्रेष्ठ भारत की रचना करने का और वो भारत की सांस्कृतिक एकता की रचना करने से ही संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने भारतीय सांस्कृति के दो उत्तुंग शिखर तमिल और काशी की संस्कृति के बीच में एक सेतु बनाने का कार्य किया है। यहीं से भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत होने वाली है। इस लंबे कार्यक्रम में तमिलनाडु से अधिकृत रूप से 2500 तमिल भाई बहन शामिल हुए। मगर वास्तविकता ये है कि 10 हजार से ज्यादा तमिल बंधुओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया है। इसने ढेर सारी दूरियों को समाप्त करने का कार्य किया है।

काशी के स्वागत को नहीं भूलेंगे तमिल भाई बहन
अमित शाह ने काशी का धन्यवाद करते हुए कहा कि दो लाख से ज्यादा काशीवासियों ने पूरे मनोयोग से अपने तमिल भाई बहनों का जैसा स्वागत किया है, उसके बाद तमिलनाडु के लोग कभी काशी को भूल नहीं सकते हैं। यहां पर तमिल संस्कृति की कला और अलग अलग अभिव्यक्ति को उत्तर भारत के विद्या के धाम पर मंच मिला है। अब ये सिर्फ काशी तक सीमित नहीं रहा। मुझे गुजरात में लोगों ने बताया कि काशी तमिल संगमम प्रधानमंत्री मोदी का बहुत ही सराहनीय प्रयास है।

काशीवासियों ने तमिल और तमिलनाडु वालों ने काशी के व्यंजनों का उठाया लुत्फ
गृहमंत्री ने कहा कि मुझे बताया गया कि काशी के भाई बहनों ने तमिलनाडु के व्यंजनों को बड़े चाव से खाया है और तमिलनाडु के भाई-बहनों ने भी यहां काशी की चाट को भरपूर स्वाद लेकर चखा है। काशी तमिल संगमम आध्यात्मिक सांस्कृतिक, वास्तुकला, साहित्य, व्यापार, शिक्षा, कला, संगीत, नृत्य और भाषाओं के आदान प्रदान का महत्वपूर्ण मंच बना है। इसने पूरे उत्तर भारत और भारत के सभी राज्यों के लोगों को जानकारी मिली है कि हमारी तमिल भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है।

तमिल भाई-बहनों के स्वागत के लिए पूरा देश तैयार खड़ा है
अमित शाह ने कहा कि मैं तमिलनाडु के भाईयों बहनों को संदेश देना चाहता हूं कि पूरा भारत आपके स्वागत को तैयार है। ये संदेश भी देना चाहता हूं कि विश्वास और प्रेम में एक समानता है दोनों को जबरदस्ती पैदा नहीं किया जा सकता है। विश्वास और प्रेम प्राप्त करना है और इसे खुद में पैदा करना पड़ेगा। आज दोनों संस्कृतियों के बीच में दोनों के बीच प्रेम और विश्वास के माहौल को खड़ा किया गया है। ये आजादी के अमृत महोत्सव काल में सबसे बड़ी उपलब्धि है।

काशी से की तमिलनाडु सरकार से अपील
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्रधानमंत्री ने भाषा और संस्कृति के माध्यम से इस देश के आध्यात्मिक गौरव, ज्ञान परंपरा और आधुनिक ज्ञान को प्राप्त करके आने वाले समय में दुनिया भर में परचम लहराने वाले हमारे विद्यार्थियों के लिए ढेर सारी व्यवस्थाएं की हैं। ये नई शिक्षा नीति की आत्मा हमारी अपनी भाषा और उसका गौरव है। गृहमंत्री ने तमिलनाडु सरकार से अपील करते हुए कहा कि वे वहां के शिक्षण संस्थानों में मेडिकल, टेक्निकल और लॉ एजुकेशन को तमिल भाषा में लागू करें, जिससे तमिल भाषा को और मजबूती मिलेगी।


यह भी पढ़ें



प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *