लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने मंगलवार की सुबह एक ट्वीट कर उपराष्ट्रपति के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ के समर्थन का ऐलान किया है। सियासी गलियारे में मायावती के इस कदम के कई मायने निकाले जा रहे हैं। देश और उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले कुछ राजनीतिक जानकर इसे कांग्रेस से बसपा सुप्रीमो की नाराजगी बता रहे हैं। वहीं कुछ इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। जिसके सामने विपक्षी एकता एक बार फिर ध्वस्त गई है।

बसपा सुप्रीमो मायावती के ट्वीट के तमाम निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। अपने बयान में उन्होंने कहा है कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में सत्ता व विपक्ष के बीच आम सहमति ना बनने की वजह से ही इसके लिए फिर अन्ततः चुनाव हुआ। अब ठीक वही स्थिति बनने के कारण उपराष्ट्रपति पद के लिए भी 6 अगस्त को चुनाव होने जा रहा है। 

बीएसपी अध्यक्ष के अनुसार उन्होंने उपराष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में व्यापक जनहित व अपनी मूवमेन्ट को भी ध्यान में रखकर जगदीप धनखड़ को अपना समर्थन देने का फैसला किया है। मायावती ने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी है। 

बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को उतारा था। इससे वनवासी समुदाय के साथ-साथ आधी आबादी को यह संदेश देने में सफल रही है कि सरकार उनके साथ है और राजनीति में उनकी हिस्सेदारी को लेकर चिंतित है। वहीं धनखड़ को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटलैंड को साधने के साथ-साथ हरियाणा और राजस्थान के जाट समुदाय को मन जीतने में सफल रही है। इसका फायदा उसे इन दोनों प्रदेश में मिलने के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा। 

बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो कांग्रेस, सपा या रालोद अभी तक मुस्लिम तुष्टिकरण और गरीब के नाम पर राजनीति करते रहे हैं। लेकिन 2017 और 2022 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जिस तरह से केंद्र की गरीब कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा है और लोगों तक पहुंचाया है, उसने विपक्ष की राजनीति के सभी समीकरण बिगाड़ दिए हैं। इससे बसपा सुप्रीमो यह समझ गई हैं कि प्रदेश की जनता भारतीय जनता पार्टी के साथ है और मायावती ने उसी जनभावना को सम्मान देते हुए राजग प्रत्याशी का समर्थन किया है।


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