Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/j1pf0zwyqhkx/postinshort.in/wp-includes/functions.php on line 6121
पापमोचिनी एकादशी 2022|व्रत की तिथि, विधि और कथा

व्रत की तिथि , व्रत विधि और कथा

इस बार पापमोचिनी एकादशी 28 मार्च को है जिसकी तिथि 27 मार्च शाम 6 बजकर 4 मिनट पर शुरू होकर दिनांक 28 मार्च को शाम 4 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी।

इस दिन वैष्णव विधि अनुसार पूरा दिन भगवान् विष्णु की आराधना पूजा करने का प्रावधान है। पूरा दिन उपवास करके एक समय फल, दूध, दही का सेवन किया जाता है। अगले दिन पूजा करके पारण करना चाहिए।

व्रत महत्त्व

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्त्व है महीने के प्रत्येक पक्ष की एकादशी का भगवान विष्णु की पूजा में विशेष महत्त्व है। हर एक एकादशी का अपना एक विशेष  महत्त्व है । चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है । मान्यता अनुसार इस दिन व्रत रखने से मनुष्य अपने किये हुए पापों से मुक्त हो जाता है । जो भी मनुष्य सच्ची श्रध्दा और भक्ति से भगवन विष्णु को समर्पित यह व्रत करता है वह ब्रम्हहत्या जैसे पापों से भी मुक्ति पाकर मुक्ति पा सकता है।

व्रत कथा

इसी सन्दर्भ में कई कथाएँ भी प्रचलित है जैसे एक बार राजा मान्धाता ने ऋषि लोमस से इसका व्रत का महात्म्य पूछा था। ऋषि लोमस ने बताया की एक बार स्वर्ग के देवता इंद्रा में चित्रथ नाम के पवित्र वन को अपनी क्रीड़ास्थल बना लिया था । जहाँ एक मुनि पहले से ही भागवान शिव की अराधना और तपस्या किया करते थे। परन्तु दुर्भाग्य वश ऋषि भगवान् शिव की अराधना भूल कर इंद्रा की एक अप्सरा मंजूषा पर असक्त हो कर उसी के साथ रमण करने लगे । आसक्ति में लीन ऋषि को अठारह वर्ष व्यतीत हो चुके थे ।

जब अप्सरा मंजूषा ने वापस स्वर्ग जाने की अनुमति मांगी तब ऋषि को मंजूषा से ज्ञात हुआ की इनके तपस्या भंग हुए अठारह वर्ष व्यतीत हो चुके है क्रोध में आकर उन्होंने मानुषा को श्राप दे दिया जिसके कारण वश वह पिशाच योनी में चली गई। उसने ऋषि से अपनी मुक्ति का मार्ग पूछा तो ऋषि ने बताया की वह अपने समस्त पापों से मुक्त पापमोचिनी एकादशी के व्रत प्रभाव से होगी और उसे पुनः दिव्य शरीर प्राप्त होगा।

ऋषि ने भी च्वयन ऋषि से अपने प्रायश्चित का मार्ग पूछा तो उन्होंने भी मुनि को पापमोचिनी एकादशी का व्रत कहा । इस प्रकार ऋषि और अप्सरा दोनों ही पापमोचिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से अपने पापों से मुक्त हो पाएं थे।

feature image from Google for refrance


यह भी पढ़ें



प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *