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अमृत सरोवरों से मिल रहा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल, महिलाएं भी बन रहीं आत्मनिर्भर

लखनऊ। योगी सरकार प्रदेश के गांवों में रोजगार के नये-नये अवसर पैदा कर रही है, ताकि ग्रामीण परिवेश की अर्थव्यवथा प्रदेश के विकास को रफ्तार दे सके। इसी के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में रोजगार सृजन के 2600 लाख मानव दिवस को मंजूरी दी गई है, जिसके सापेक्ष मंगलवार तक 1697.77 लाख मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं। इसके लिए कुल 56 सौ करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की जा चुकी है। वहीं हर ग्राम पंचायत में दो अमृत सरोवर बनाने के लक्ष्य के तहत अब तक 15,441 तालाबों का चयन किया जा चुका है, जिसमें से 8389 तालाबों का काम पूरा कर लिया गया है।

16 हजार से अधिक महिला मेटों को उपलब्ध कराया गया रोजगार
महिला सशक्तिकरण एवं मनरेगा योजना के तहत महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर महिला मेटों की नियुक्ति जा रही है। आजीविका मिशन के तहत निर्मित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का चयन किया गया है। जिसके तहत प्रदेश की 35,000 से अधिक महिला मेटों को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें अब तक 16 हजार से अधिक मेटों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

60.72 लाख सृजित परिसंपत्तियों की जीओ टैगिंग पूरी
वित्तीय वर्ष 2022-23 में आजीविका में सुधार के लिए कुल 5 लाख परिवारों को व्यक्तिगत लाभार्थीपरक परिसंपत्तियों से अच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही 20 लाख परिवारों को पूर्ण 100 दिवस का रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से वित्तीय वर्ष की तिमाही में 58 हजार से अधिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। वहीं प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए श्रमिकों की आधार सीडिंग कराई जा रही है। अब तक कुल क्रियाशील 1.71 करोड़ श्रमिकों के सापेक्ष में 1.35 करोड़ क्रियाशील श्रमिकों की आधार सीडिंग पूरी की जा चुकी है। मनरेगा के तहत सभी कार्यों की त्रिस्तरीय जीओ टैगिंग कराई जा रही है। इसमें काम से पहले, काम के बीच और खत्म होने के बाद जीओ टैगिंग कराई जा रही है। अब तक 60.72 लाख सृजित परिसंपत्तियों की जीओ टैगिंग को पूरा कर लिया गया है।


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