मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की नोएडा ट्विन टॉवर ध्वस्तीकरण की तैयारियों की समीक्षा
28 अगस्त को सुबह खाली कराई जाएगी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी: आईआईडीसी
ट्विन टॉवर के चारों ओर की सड़कों पर प्रतिबंधित होगा आवागमन, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे भी ध्वस्तीकरण के समय आधा घंटे रहेगा बंद: आईआईडीसी
28 अगस्त को दोपहर 02:30 बजे होगा नोएडा ट्विन टॉवर का ध्वस्तीकरण टॉवरों में 9600 होल करके भरी गई 3700 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, हो रही है चार्जिंग
अनियमितता के दोषी प्राधिकरण के अधिकारी, कर्मचारी और बिल्डर, आर्किटेक्ट सहित अब तक 26 नपे
मुख्यमंत्री की समीक्षा के बाद आईआईडीसी ने जारी किए दिशा-निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टॉवर ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं। ध्वस्तीकरण की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि
टॉवर ध्वस्त करने की पूरी प्रक्रिया में आस-पास के आवासीय परिसर में निवासरत लोगों की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जाए, साथ ही पर्यावरणीय मानकों का भी ध्यान रखा जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने डेढ़ दशक पुराने इस मामले के दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। मुख्यमंत्री की समीक्षा के बाद अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि 28 अगस्त को तय ट्विन टॉवर ध्वस्तीकरण की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। एमराल्ड कोर्ट के 660 भवन और एटीएस विलेज के 762 भवनों को 28 अगस्त को सुबह ही खाली करा लिया जाएंगे। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप ध्वस्तीकरण के दौरान ट्विन टॉवर के चारों ओर की सड़कों पर आवागमन प्रतिबंधित रखा जाएगा साथ ही, सुरक्षा के दृष्टिगत नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे को ध्वस्तीकरण के समय आधा घंटे बंद होगा। ध्वस्तीकरण के कारण करीब 80,000 टन मलबा पैदा होगा। इस मलबे को तय टाइमलाइन के अनुसार अगले तीन माह में निस्तारित कर दिया जाएगा। अरविंद कुमार ने बताया कि टॉवर के समीप स्थित गेल गैस पाइपलाइन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है तो, एमरॉल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के वाहनों को वैकल्पिक पार्किंग व्यवस्था और बाग-बगीचों की सुरक्षा की जाएगी।
महज 12 सेकेंड में ध्वस्त हो जाएगा ट्विन टॉवर
आईआईडीसी ने बताया कि ट्विन टॉवर को ध्वस्त किए जाने के लिए सीएसआईआर- सीबीआरआई के सहयोग से मुम्बई की मे. एडिफाइस इंजीनियरिंग एजेंसी का चयन किया गया है। एजेंसी ने पूर्व में कोचीन में ऐसी ही एक गगनचुंबी इमारत के सफलतापूर्वक ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की है। ध्वस्तीकरण के लिए वॉटर फॉल इम्प्लोजन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि डिजाइन के अनुसार मनचाही दिशा में भवन को गिराने के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है। बीते 10 अप्रैल को एक टेस्ट ब्लास्ट भी किया गया था, जिसके नतीजों के आधार पर सीबीआरआई ने संशोधित ब्लास्ट डिजाइन तैयार की है। टॉवर को ध्वस्त करने के लिए करीब 3700 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री को स्टोर किया गया है। दोनों टावर में 9600 होल किए गए हैं, जहां विस्फोटक को रखा जा चुका है और अब इन्हें चार्ज किया जा रहा है। 28 अगस्त को दोपहर में ठीक 02:30 बजे एक बटन दबाने के महज 12 सेकेंड के भीतर 30 मंजिला टावर संख्या 16 और 31 मंजिला टावर संख्या 17 जमींदोज हो जाएगी।
03 माह में होगा 80,000 टन मलबे का निस्तारण
ध्वस्तीकरण के बाद उत्पन्न हुए मलबे के निस्तारण के लिए ध्वस्तीकरण एजेंसी ने सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लान तैयार किया है। कुल पैदा होने वाले अनुमानित 80,000 टन मलबे का सेग्रीगेशन स्थल पर ही किया जाएगा और इस मलबे से स्टील व कंक्रीट को अलग किया जाएगा। करीब 50,000 टन मलबा ट्विन टॉवर के 02 बेसमेंट में समायोजित करने की तैयारी है, जबकि शेष 30,000 टन मलबे को नोएडा में निर्मित सीएंडडी प्लांट में वैज्ञानिक तरीक़े से प्रोसेस कर उसे टाइल्स आदि में परिवर्तित किया जाएगा। तय योजना के मुताबिक मलबे के निस्तारण की यह पूरी कार्यवाही अगले 03 माह में पूरी कर ली जाएगी। बहुमंजिली इमारत के गिराए जाने की कार्यवाही के बीच मुख्यमंत्री योगी ने पर्यावरणीय चुनौतियों का भी ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में ध्वस्तीकरण के बाद वायु गुणवत्ता की जांच के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 06 जगहों पर उपकरण लगाए जाएंगे। ध्वस्तीकरण के फलस्वरूप जमा हुए मलबे के सेग्रीगेशन के समय पैदा होने वाली धूल से एमरॉल्ड टॉवर और एटीएस विलेज को बचाने के लिए 12 मीटर ऊंची जियो फाइबर क्लॉथ का उपयोग होगा। तो, धूल को साफ करने के लिए वॉटर टैंकर, स्प्रिंकलर तथा स्मॉग गन का उपयोग भी किया जाएगा। लगभग 02 किलोमीटर के दायरे में आने वाली सड़क के लिए स्वीपिंग मशीन भी लगाई जाएगी साथ ही अन्य सफाई कर्मी भी तैनात होंगे।
मुख्यमंत्री ने कराई जांच, प्राधिकरण के अधिकारी, कर्मचारी और बिल्डर, आर्किटेक्ट सहित 26 नपे
नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई इस गगनचुम्बी इमारत के निर्माण में नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों और बिल्डर की मिलीभगत की बात साबित हुई है। मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डेढ़ दशक पुराने इस मामले की गहन जांच कराई। सितम्बर 2021 में सीएम योगी के आदेश पर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में 04 सदस्यों की समिति गठित की गई। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण में संलिप्त 26 अधिकारियों/कर्मचारियों , सुपरटैक लिमिटेड के निदेशक एवं उनके वास्तुविदों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ में दिनांक इसी मामले में अक्टूबर 2021 में प्राधिकरण के संलिप्त अधिकारी, सुपरटैक लिमिटेड के निदेशक तथा आर्किटेक्ट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। साथ ही, प्राधिकरण द्वारा जिला न्यायालय गौतमबुद्धनगर में प्राधिकरण कर्मियों तथा मेसर्स सुपरटैक लिमिटेड के विरुद्ध अभियोजन की कार्यवाही के लिए मुकदमा भी दाखिल किया गया। मामले में संलिप्त ऐसे 04 अधिकारी, जो वर्तमान में अलग-अलग प्राधिकरणों में कार्यरत थे, को निलम्बित करते हुए शासन द्वारा उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
सुपरटेक ट्विन टॉवर: अब तक क्या-क्या हुआ?
■ वर्ष 2004 से 2006 के बीच मेसर्स सुपरटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा भूखंड संख्या जीएच 04, सेक्टर 93ए में 54,820 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई। इस भूमि पर अलग-अलग समय पर प्राधिकरण द्वारा मानचित्र स्वीकृत किए गए।
■ स्वीकृत मानचित्र में कुल 17 टॉवर थे, जिनमें कुल 660 आवासीय यूनिट की स्वीकृति दी गई थी। 15 टॉवर 15-15 मंजिलों की तथा 02 टावर 30 व 32 मंजिलों की है।
■ सुप्रीम कोर्ट द्वारा 31 अगस्त 2021 को 17 टॉवरों में से 02 टॉवर (16 व 17) जिसे ट्विन टॉवर के नाम से जाना जाता है, को टॉवरों के बीच में आवश्यक न्यूनतम खुला क्षेत्र नहीं होने के तथा पूर्व आवंटियों से सहमति नहीं लिए जाने के कारण 03 माह में ध्वस्त करने के आदेश दिए गए।
■ ध्वस्तीकरण पर खर्च होने वाली पूरी धनराशि सुपरटेक लिमिटेड द्वारा वहन किया जाएगा।
■ चयनित एजेंसी की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्तीकरण के लिए समय सीमा को बढ़ाकर 28 अगस्त की तारीख तय की है।
■ अनियमितता के दोषियों पर कार्रवाई के लिए सितम्बर 2021 में ओडीओडी एवं अवस्थापना विकास आयुक्त की अध्यक्षता में 04 सदस्यीय समिति बनाई गई। समिति ने 01 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट पेश की।
■ जांच समिति की रिपोर्ट के।आधार पर 03 अक्टूबर 2021 को प्राधिकरण के संलिप्त अधिकारियों/कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और आर्किटेक्ट के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान में एफआईआर दर्ज कराई गई।
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