आकांक्षी विकासखंडों में शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को दें बढ़ावा
औद्योगिक क्षेत्र का विकास करने वाला प्राधिकरण ही वहां की सुविधाओं और रखरखाव का जिम्मेदार: मुख्यमंत्री
औद्योगिक विकास प्रधिकरणों को मुख्यमंत्री का निर्देश, लैंडबैंक विस्तार के लिए मिशन मोड में करें काम, प्रभावी संवाद से करें विवादित प्रकरणों का समाधान
प्राधिकरणों को अपने दैनिक कार्य व्यवहार मे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अनुसार काम करना होगा
औद्योगिक विकास प्रधिकरणों की वर्तमान और भावी कार्ययोजना की मुख्यमंत्री ने की समीक्षा, कहा निवेशकों की जरूरतों का रखें ध्यान
यूपीसीडा के माध्यम से बीते 02 वर्ष में सात देशों से यूपी में आया ₹3200 करोड़ से अधिक का एफडीआई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मंगलवार को प्रदेश के समस्त औद्योगिक विकास प्रधिकरणों और यूपीसीडा द्वारा औद्योगिक निवेश को बढ़ाये जाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। यूपीसीडा, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यीडा, बीडा भदोही, सीडा जौनपुर और गीडा गोरखपुर के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री जी ने उनकी वर्तमान परियोजनाओं और भावी कार्ययोजना की भी समीक्षा की।
– उत्तर प्रदेश अनंत संभावनाओं वाला प्रदेश है। हर जिले में अवसर है। इन अवसरों-संभावनाओं विकास परियोजनाओं में बदलने के लिए औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की भूमिका अहम है। फरवरी 2018 में पहले इन्वेस्टर समिट में हमें 4 लाख 68 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए राज्य ने ₹10 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के लिए औद्योगिक विकास प्रधिकरणों को हर जरूरी तैयारी कर लेनी चाहिए।
– आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश के औद्योगिक विकास अनुकूल माहौल ने दूसरे देशों को निवेश के लिए आकर्षित किया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने की हमारी नीतियों के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। अकेले यूपीसीडा के माध्यम से बीते 02 वर्ष में सात देशों से ₹3200 करोड़ से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है। इसमें यूनाइटेड किंगडम और यूएसए से करीब ₹1250-₹1250 करोड़, इटली से ₹250 करोड़, कनाडा से सवा सौ करोड़, फ्रांस से प्राप्त ₹300 करोड़ से अधिक का एफडीआई शामिल है। इनसे 9000 से अधिक का रोजगार सृजन भी हुआ है।
– यूपीसीडा पहला प्राधिकरण है, जहां ई-ऑक्शन से औद्योगिक भूखंड आवंटित किए जाते हैं। तकनीक की मदद से हुए व्यवस्था के सरलीकरण का ही परिणाम है कि बीते 02 वर्ष में 587 औद्योगिक भूखंड आवंटित किए गए हैं। कोरोना के चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच बीते दो वर्ष में ऐसा पहली बार हुआ कि दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल, तेलंगना, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से प्रतिष्ठित इकाइयों यूपीसीडा के माध्यम से प्रदेश में 3700 करोड़ से अधिक का निवेश किया है। केवल यूपीसीडा के अंतर्गत बीते 05 वर्ष में 2749 नई औद्योगिक इकाइयां क्रियाशील हो चुकी हैं, जबकि 2400 से अधिक इकाइयां निर्माणाधीन हैं।
– प्राधिकरणों को अपने दैनिक कार्य व्यवहार मे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अनुसार काम करना होगा। अगर किसी निवेशक की एमओयू से लेकर इकाई स्थापना तक हर प्रक्रिया सुगमता से पूरी हो, उसे इंडस्ट्रियल एरिया में सड़क, स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज की अच्छी व्यवस्था मिले तो यह प्राधिकरण के प्रति निवेशक के मन मे अच्छी धारणा का निर्माण करेगा।
– भविष्य के दृष्टिगत सभी प्राधिकरणों को लैंडबैंक विस्तार के लिए मिशन मोड में काम करना होगा। आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से पहले हमें अपने इंडस्ट्रियल लैंड बैंक को अधिकाधिक विस्तार देना होगा। प्रदेश के विकास की दृष्टि से उपयोगी औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि की कोई कमी नहीं है। अकेले यूपीसीडा के पास 12000 एकड़ से अधिक का लैंडबैंक है। नोएडा विकास प्राधिकरण ने औद्योगिक, वाणिज्यिक, ग्रुप हाउसिंग के लिए करीब 915 एकड़ का लैंडबैंक आवंटन के लिए आरक्षित कर लिया है। इन प्रयासों को और तेज किया जाए।
– आकांक्षात्मक विकास खंडों में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आकांक्षी विकास खंडों में हेल्थ एटीएम की स्थापना और और अच्छे मॉडल स्कूलों के विकास के लिए निजी क्षेत्र का सहयोग लें।
– इण्डस्ट्रियल एरिया का विकास करते समय उद्यमियों की जरूरत का पूरा ध्यान रखा जाए। सड़कें, बिजली, पेयजल आदि की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। इंडस्ट्रियल एरिया का विकास जिस प्राधिकरण द्वारा किया जाए, सुविधाओं का विकास और रखखाव की जिम्मेदारी भी उसी की होगी। इस सम्बंध में ओडीओडी विकास विभाग द्वारा स्पष्ट आदेश जारी किए जाएं।
– प्रदेश में निवेश कर रहीं औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा इंसेंटिव प्रदान किया जा रहा है। ऐसे सभी प्रकरणों की गहन समीक्षा कर बिना बिलंब यथोचित समाधान किया जाए।
– निर्यात प्रोत्साहन के लिए हमें और तेज प्रयास करना होगा। हर जिले में इसके लिए नीतिगत प्रयास करना होगा। एमएसएमई विभाग और नियोजन विभाग परस्पर समन्वय से इसकी कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत करें। निर्यात प्रोत्साहन के लिए औद्योगिक इकाइयों से उनकी कार्ययोजना पर लगातार चर्चा की जानी चाहिए। इसी प्रकार, हमारा प्रयास यह भी हो कि प्रदेश में इकाइयां स्थापित करने वाली कंपनियां अपने सीएसआर की धनराशि भी उत्तर प्रदेश के हित में करें, इसके लिए उद्यमियों, निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
– सभी प्राधिकरण आईआईटी, एनआईटी और राज्य सरकार की प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थानों से सतत संवाद बनाये रखें। भावी कार्ययोजना तैयार करते समय इनसे तकनीकी परामर्श लेते रहें।
– भदोही औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा स्थानीय शिल्पकला को औद्योगिक स्वरूप देने के लिए अच्छा प्रयास किया गया है। निर्यात प्रोत्साहन के लिहाज से बीडा की इकाइयों की भूमिका महत्वपूर्ण है। अक्टूबर में यहां इंटरनेशनल कालीन एक्सपो भी आयोजित होने जा रहा है। प्राधिकरण प्रयास करे कि वाराणसी की कालीन इकाइयां भी भदोही की ओर आकर्षित हों। बीडा को अपना लैंड बैंक बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास करना होगा।
– यमुना इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी में अपैरल पार्क, एमएसएमई, टॉय पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क, लॉजिस्टिक पार्क, डाटा सेंटर पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क जैसे क्लस्टर आधारित 07 इंडस्ट्रियल पार्कों का विकास किया जा रहा है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी के प्रोत्साहन के उपरांत उत्तर प्रदेश पहला राज्य होगा, जहां टॉय पार्क स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों से भी संवाद किया जाए। अपैरल पार्क महिला स्वावलंबन में 80% से अधिक महिलाएं ही सेवायोजित होंगी। यह पार्क रोजगार सृजन की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी होंगे। इसकी कार्यवाही समयबद्ध रूप से पूरी की जाए। निवेशकों को भूमि आवंटन में अनावश्यक देरी न हो।
– गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण को धुरियापार की ओर संभावनाएं तलाशनी चाहिए। यहां उचित दर पर भूमि मिल जाएगी। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसे में प्राधिकरण द्वारा धुरियापार में भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही यथाशीघ्र शुरू कर दी जाए।
– जौनपुर और वाराणसी के आस पास के क्षेत्रों में कई लिथियम आयन बैटरी निर्माता कंपनियों ने अपनी इकाइयां लगाने की इच्छा जताई है। सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण, जौनपुर (सीडा) के लिए यह अच्छा अवसर है। सीडा में हॉकिन्स कंपनी लंबे समय से निवेश कर रही है। प्राधिकरण को ऐसे निवेशकों से संवाद कर आकर्षित करना चाहिए। सीडा फेज 02 अंतर्गत पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के आसपास भूमि अधिग्रहण कर लैंड बैंक को विस्तार देने की कार्यवाही हो।
– आवासीय और औद्योगिक दृष्टिकोण से नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र की उन्नति सराहनीय है। प्रदेश सरकार इन क्षेत्रों में दोनों ही प्रकार की गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है। अकेले नोएडा में 2012-17 के बीच मात्र 63 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक इकाइयों को आवंटित की गई जबकि 2017-22 के बीच 196 हेक्टेयर भूमि दी गई। यह स्थिति अच्छी है। ऐसे प्रयास आगे भी जारी रखें जाएं।
– कन्नौज में प्रस्तावित इत्र पार्क, मेगा फ़ूड पार्क, बहेड़ी बरेली जैसे प्रोजेक्ट स्थानीय उद्यम को प्रोत्साहन देने और रोजगार सृजन के लिहाज से बहुत उपयोगी होंगे। इनकी स्थापना की कार्यवाही तेजी से पूरी की जाए। इन विशेष औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यमियों की जरूरत के अनुसार सुविधाओं का विकास किया जाए।
– कला-मनोरंजन जगत के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इंफोटेनमेंट सिटी (फ़िल्म सिटी) के विकास की कार्यवाही में तेजी की जरूरत है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित स्टूडियो, प्रोडक्शन हाउसेज, विशेषज्ञों से परामर्श किया जाए। पीपीपी मॉडल के आधार पर विकसित होने जा रही यह इंफोटेनमेंट सिटी दुनिया भर के कला-मनोरंजन जगत को उत्तर प्रदेश का उपहार होगी।
– ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण अंतर्गत ‘गंगाजल परियोजना’ आमजन को पेयजल की सुलभ उपलब्धता की दृष्टि से बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। इसे समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया जाए
– ग्रुप हाउसिंग की परियोजनाओं में प्रायः बिल्डर-बायर्स के बीच विवाद की स्थिति देखने को मिलती है। प्राधिकरणों को इस संबंध में विशेष प्रयास करना होगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि हाउसिंग परियोजनाएं समय से पूरी हों, खरीदारों से किए गए समझौते के अनुरूप ही परियोजना पूरी हो। आवास की रजिस्ट्री समय से हो।
– औद्योगिक क्षेत्र के पास ही टाउनशिप के विकास भी किया जाए। औद्योगिक इकाइयों में कुछ कर्मचारी स्थायी होते हैं तो कुछ अस्थायी होते हैं, हमारा प्रयास हो कि इन लोगों को उनके कार्यस्थल के पास ही आवास की सुविधा मिल सके। श्रमिकों के लिए डॉरमेट्री आवास भी बनाये जा सकते हैं। इसके लिए औद्योगिक इकाइयों से संवाद भी करना चाहिए। औद्योगिक इकाइयों का विकास करते समय वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता पर भी ध्यान दिया जाए।
– यूपीसीडा में 2017-18 की तुलना में 2021-22 में आवासित भूखण्डों की संख्या में 242%, पूंजी निवेश में 377% रोजगार सृजन में 452% की सराहनीय बढ़ोतरी देखी गई है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 126 आवासित भूखंड हो चुके हैं, जबकि 6908 करोड़ का पूंजी निवेश हुआ है। विगत 02 वर्षों में पिछले तीन वर्षों की तुलना में निवेश प्रवाह में ढाई गुना की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जबकि रोजगार सृजन दोगुने से ज्यादा हुआ है। कोविड महामारी के बाद भी यह उपलब्धि संतोषप्रद है।
– नोएडा परिक्षेत्र में स्थापित गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के लिए नोएडा अथॉरिटी द्वारा पूर्व में दिया जा रहा वित्तीय सहयोग जारी किया जाए। विश्वविद्यालय के विकास के लिए यह सहयोग आवश्यक होगा।
प्रातिक्रिया दे