शत्रु संपत्ति की निगरानी, सुरक्षा और प्रबंधन के लिए शासन स्तर पर होगी नोडल अधिकारी की तैनाती

■ प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थित शत्रु संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी आवश्यक है। कतिपय स्थानों पर अतिक्रमण की भी सूचना है। ऐसे में सभी शत्रु संपत्तियों की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट तैयार की जाए। इन्हें अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए गृह विभाग की निगरानी में प्रदेशव्यापी कार्रवाई शुरू की जाए। शत्रु संपत्ति की सुरक्षा, निगरानी व प्रबंधन के लिए प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया जाए।

■ अन्तरराज्यीय/अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित गांवों को ‘वाइब्रेंट’ बनाने के लिए हमें नियोजित प्रयास करने की आवश्यकता है। सीमावर्ती गांवों/जनपदों की सांस्कृतिक/ऐतिहासिक विरासतों की बेहतर ब्रांडिंग करते हुए यहां पर्यटन विकास की संभावनाओं को आकार दिया जाना चाहिए। स्कूली बच्चों, एनसीसी, एनएसएस के कैडेट/स्वयंसेवकों को इन क्षेत्रों का भ्रमण कराये जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में निवासरत सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों/अर्धसैनिक बलों के जवानों को ‘सरहद के सिपाही’ के रूप में पहचान देते हुए यहां की व्यवस्था को सुचारू रखने में आवश्यकतानुसार सहयोग लिया जाना भी उचित होगा। सीमावर्ती जिलों में केंद्र व राज्य सरकार की जनहितकारी योजनाओं का 100% संतृप्तिकरण सुनिश्चित कराया जाए।

■ राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा देश में आपराधिक घटनाओं, दुर्घटनाओं की वास्तविक स्थिति प्रदर्शित करने वाला दस्तावेज तैयार किया जाता है। क्रिमिनल प्रोसीजर (आइडेंटिफिकेशन) एक्ट 2022 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर पर एक नोडल अधिकारी की तैनाती की जाए। प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित करें कि एनसीआरबी के पास शुद्ध, वास्तविक और समयबद्ध आंकड़ों की उपलब्धता हो।

■ साइबर सिक्योरिटी के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस परिक्षेत्र के बाद अब प्रदेश के हर जिले में एक साइबर क्राइम थाना की स्थापना की आवश्यकता है। यह थाना स्थानीय सुविधानुसार जिलों के रिजर्व पुलिस लाइन में स्थापित किया जा सकता है। राज्य स्तर पर संयुक्त साइबर को-कॉर्डिनेशन टीम गठित की जाए। इस टीम में पुलिस विभाग के अलावा साइबर विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाए। विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत करें।

■ महिला सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन के संकल्प की पूर्ति में “सेफ सिटी परियोजना” अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। प्रदेश में इस परियोजना के माध्यम से लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत मॉडर्न कंट्रोल रूम, पिंक पुलिस बूथ, आशा ज्योति केंद्र, सीसीटीवी कैमरे, महिला थानों में परामर्शदाताओं के लिए हेल्प डेस्क, बसों में पैनिक बटन व अन्य सुरक्षा उपायों को लागू करने में सहायता मिली है। स्मार्ट सिटी परियोजना अंतर्गत स्थापित इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से शहरों की सुरक्षा व्यवस्था स्मार्ट हुई है। अंतर्विभागीय समन्वय के साथ कन्वर्जेंस के माध्यम से वित्तीय प्रबंधन करते हुए अधिकाधिक शहरों को इन सभी शहरों को ‘सेफ सिटी’ बनाने के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना तैयार करें। इस प्रकार प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश 17 सेफ सिटी वाला पहला प्रदेश हो सकेगा।

■ प्रदेश में मादक पदार्थों के अवैध निर्माण, खरीद-फ़रोख़्त और ड्रग ट्रैफिकिंग के विरुद्ध अभियान को और तेज करने की आवश्यकता है। इस दृष्टि से संवेदनशील जिलों में सतर्कता और इंटेलिजेंस को और बेहतर करना होगा। अंतरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकसी बढ़ाई जाए। ड्रग माफिया के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

■ प्रदेश के महत्त्वपूर्ण सरकारी और निजी भवनों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, धर्म स्थलों, तीर्थ स्थानों, न्यायालयों, मेट्रो रेल आदि की पुख्ता सुरक्षा के लिए ‘उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल’ का गठन किया गया है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तर्ज पर यूपीएसएसएफ को और सशक्त और प्रोफेशनल बनाए जाने की आवश्यकता है। इस सम्बंध में गृह विभाग द्वारा आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।


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