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वैश्विक स्तर पर और महक बिखेरगा कन्नौज का इत्र 

लखनऊ। योगी सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए शुरू किए गए एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के नये आयाम सामने आने लगे हैं। आजादी के अमृत महोत्सव पर ओडीओपी योजना के तहत इत्र को वैश्विक स्तर पर ब्रांड के रूप में और मजबूत करने के लिए कन्नौज के 7 कारोबारियों ने इत्र के विभिन्न नये उत्पादों, अगरबत्ती, सुगंधित त्रि रंगीय टेराजो की पेशकश की है। कन्नौज का इत्र देश ही विदेशों में अपनी खुशबू के साथ ब्रांड के रूप में जाना जाता है। ऐसे में योगी सरकार की ओडीओपी योजना के तहत इसे वैश्चिक स्तर पर और अधिक मजबूत बनाने पर बल दिया जा रहा है।  

ओडीओपी को नया आयाम

स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर उतारा गया ‘मेरी मिट्टी-75’ इत्र कन्नौज की 75 किलोग्राम मिट्टी से जल आसवन तकनीक से विकसित किया गया है, जिसे पहली वर्षा के बाद मिट्टी से जो सोंधी खुशबू निकलती है उससे तैयार किया गया है। इसमें 75 जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। इन उत्पादों की लांचिंग लोकभवन में एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल की मौजूदगी में की गई। अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि कन्नौज के इत्र कारोबारियों तथा सुरस एवं सुगंध विकास केंद्र के सहयोग से आजादी के अमृत महोत्सव पर अतर गंगा, हिन्द शामामा, वंदे मातरम् मोतिया दिव्य सुगंध, मेरी मिट्टी-75, यूडी-75 बॉडी स्प्रे, तिरंगा इत्र, आजादी-75, ट्राईकलर अगरबत्ती, सेंटेड ट्राई कलर टेराजो को लांच किया गया, जिसे कन्नौज के इत्र कारोबारियों ने योगी सरकार की ओडीओपी योजना के तहत नया आयाम दिया है। 

ये इत्र हैं खास

अतर गंगा: इस इत्र को कन्नौज की पारंपरिक विधि से तैयार किया गया है। इसे कन्नौज में बहने वाली गंगा नदी के दोनों किनारों पर उगने वाले फूलों से पारंपरिक विधि से बनाया गया है। इत्र को बनाने में गुलाब, बेला, मेहंदी, गेंदा के फूलों का इस्तेमाल किया गया है। 

हिंद शामामा: इस इत्र को देश के विभिन्न राज्यों की जड़ी बूटियों से तैयार किया गया है। इसमें 35 जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। इसे लगाने के साथ खाया भी जा सकता है। यह व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। 

वंदे मातरम् मोतिया दिव्य सुगंध: इस इत्र को प्राकृतिक रूप से बेला के फूलों से निर्मित किया गया है। इस इत्र को पूजा और मांगलिक कार्य के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसका प्राचीन वेदों में भी वर्णन मिलता है। इसमें सौ प्रतिशत चम्पा एवं जास्मिन के फूलों के प्राकृतिक सत्व का समावेश है। 

मेरी मिट्टी-75: इस इत्र को कन्नौज के विभिन्न स्थानों की 75 किलोग्राम की मिट्टी से तैयार किया गया है। इसे बनाने में जल आसवन विधि का प्रयोग किया गया है। इसे पहली बारिश के बाद मिट्टी से जो सोंधी सुगंध आती है, उसे एकत्र करके बेस आयल की मदद से बनाया गया है। इत्र में औषधि का भी इस्तेमाल किया गया है।

यूडी-75: आज बाजार में विभिन्न तरह के केमिकल्स युक्त बॉडी स्प्रे मौजूद हैं। ऐसे में एक इत्र कारोबारी ने ऐसा बॉडी स्प्रे बनाया है, जिसे कन्नौज की मिट्टी से प्राचीन परंपरागत पद्धति से तैयार किया गया है। भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक इस बॉडी स्प्रे को आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर तैयार किया गया है। 

सेंटेड ट्राई कलर टेराजो: पुरानी इमारत, फर्श समेत अन्य पुरानी चीजों से निर्मित पत्थर के उत्पादों में कन्नौज के प्राकृतिक इत्र का इस्तेमाल किया गया है। इसमें ट्राई कलर का प्रयोग किया गया है। टेराजो बनाने में पुरानी चीजों पर ज्यादा ध्यान दिया गया ताकि उनको रिसाइकिल करके दोबारा उपयोग में लाया जा सके। इस विधि से कोस्टर, मोमबत्ती, सिंक, साबुन, काफी टेबल, टेबल टॉप आदि को बनाया जा रहा है। इसे बनाने में भारतीय और पश्चिमी तकनीक का प्रयोग किया गया है। 

तिरंगा अतर: इस इत्र को गुलाब, मिट्टी और बेला की सुगंध से तैयार किया गया है। यह तिरंगा के ट्राई कलर पर आधारित है। केसरिया रंग पर आधारित क्रान्ति गुलाब को गुलाब और चंदन से बनाया गया है। माटी-ए-वतन को कन्नौज के कुम्हार द्वारा तैयार पक्की मिट्टी से बनाया गया है। वहीं स्वातंत्र्य बेला को बेला के फूलों से तैयार किया गया है। 

ट्राईकलर अगरबत्ती: प्राकृतिक खुशबू से तैयार अगरबत्ती को बनाने में ट्राईकलर का इस्तेमाल किया गया है। इसमें ट्राईकलर के साथ तीन सुगंध का भी प्रयोग किया गया है। 

आजादी-75: इस इत्र में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी के फूलों का इस्तेमाल किया गया है। कुल मिलाकर इसमें 75 फूलों की प्राकृतिक खुशबू का प्रयोग किया गया है। इसे खासकर स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर तैयार किया गया है।


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