शिवांजना और थर्ड विंग की ओर से पुनीत अस्थाना के निर्देशन में हुआ प्रभावी मंचन

लखनऊ, शिवांजना और थर्ड विंग की नवीनतम हिन्दी प्रस्तुति “मॉर्फ़ोसिस” का प्रभावी मंचन रविवार 8 जनवरी को गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह में वरिष्ठ रंगकर्मी पुनीत अस्थाना की प्रस्तुति, परिकल्पना और निर्देशन में किया गया। मोहन राकेश स्मृति सम्मान से सम्मानित लेखक हृषीकेश वैद्य के लिखे नाटक “मॉर्फ़ोसिस” में ज़िन्दगी से जुड़े किरदारों को, मंच पर सहज और स्वभाविक रूप से प्रस्तुत करने के लिए, अभिनेता को जिस तरह भावात्मक रूप से प्रताड़ित होना पड़ता है उसका प्रतिबिम्ब इस नाटक में प्रभावी रूप से पेश किया गया।

रंगमंच का स्टार अभिनेता “प्रसाद” अपने को सर्वोत्कृष्ट समझता है। अहंकारी “प्रसाद” अपनी सह अभिनेत्रियों को भी महत्व नहीं देता। एक अन्य अभिनेता “भौमिक” एक बहस के दौरान “प्रसाद” को जानेमाने वरिष्ठ नाट्य निर्देशक “दाऊजी” के निर्देशन में शुरू होने वाले प्रतिष्ठित नाटक “मॉर्फ़ोसिस” में नायक “मानस” की भूमिका करने की चुनौती देता है। दाऊजी को प्रसाद के ग्लैमर की दुनिया के लटके-झटके पसंद नहीं है इसीलिए वह प्रसाद को मना कर देतें हैं पर काफी अनुनय-विनय के बाद वह “मार्फोसिस” की भूमिका, प्रसाद को देने के लिए तैयार हो जाते हैं। दाऊजी, ग्लैमर की दुनिया के बादशाह प्रसाद से मॉर्फ़ोसिस के नायक मानस की भूमिका के लिए इतने कठोर और अस्वाभाविक प्रयोग करते हैं कि कार्य के लिए समर्पित प्रसाद, उनका अनुकरण करते-करते अंत में अपना मानसिक संतुलन ही खो बैठता है और अस्पताल पहुंच जाता है। दूसरी ओर दाऊजी भी प्रसाद की इस स्थिति के लिए खुद को ज़िम्मेदार मानते हुए भावात्मक रूप से टूट जातें हैं। मंच पर दाऊजी की भूमिका वरिष्ठ रंगकर्मी केशव पंडित और प्रसाद की राजीव रंजन सिंह अदा कर प्रशंसा हासिल की। नैना और सब्ज़ परी की भूमिका सोनी सिंह, दिशा और मालती की श्रुति कीर्ति सिंह, मोहित की सचिन तुलसी, कुमार और लालदेव की जितेन्द्र मिश्रा ‘टीटू’, भौमिक की सोमेन्द्र सिंह, विकास और सिक्योरिटी की भूमिका सुमित यादव और मंच उदघोषक की भूमिका तनय विवेक पांडे ने प्रभावी रूप से अदा कर नाटक को गति प्रदान की। आनंद अस्थाना की दृश्यबंध परिकल्पना, शकील ब्रदर्स का दृ़श्यबंध निर्माण, सोनी सिंह और श्रुतिकीर्ति सिंह की वेशभूषा, मनोज वर्मा की रूपसज्जा, देवाशीष मिश्रा के प्रकाश, राजीव रंजन सिंह के संगीत एवं ध्वनि प्रभाव चयन और शिवाकांत सिंह के ध्वनि संचालन ने नाट्यरसता को बढ़ाया।


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