कंगनी एक बहुउद्देश्यीय फसल है जिसे खाना, चारा और औषधीय purposes के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी खेती कम पानी में की जा सकती है और कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है

कंगनी एक मोटा अनाज है जो भारत, चीन, जापान और अन्य एशियाई देशों में उगाया जाता है। भारत में यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र , गुजरात, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में इसका ज्यादातर उत्पादन होता है। इसे हिंदी में कंगनी या टांगुन भी कहा जाता है। कंगनी एक बहुउद्देश्यीय फसल है जिसे खाना, चारा और औषधीय purposes के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

कंगनी की खेती के लिए अच्छी तरह से सूखा, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। कंगनी की खेती के लिए भूमि की तैयारी करते समय, दो से तीन बार जुताई करें। अंतिम जुताई के बाद, मिट्टी को समतल कर दें।

कंगनी की बुवाई के लिए, 20 से 25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। बीज को 2 से 3 सेमी की गहराई तक बोना चाहिए। कंगनी की बुवाई अप्रैल-मई या जुलाई-अगस्त में की जा सकती है।

कंगनी की फसल को अच्छी तरह से सिंचित करने की आवश्यकता होती है। बुवाई के बाद, पहली सिंचाई 10 से 15 दिनों के बाद करें। उसके बाद, हर 15 से 20 दिनों के बाद सिंचाई करें।

कंगनी की फसल को खरपतवारों से बचाने के लिए दो से तीन निराई-गुड़ाई करें। पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद करें। दूसरी निराई-गुड़ाई 40 से 45 दिनों के बाद करें। तीसरी निराई-गुड़ाई 60 से 65 दिनों के बाद करें।

कंगनी की फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए, फसल को समय-समय पर कीटनाशक और fungicide का छिड़काव करें।

कंगनी की फसल 90 से 100 दिनों में पक जाती है। फसल पकने के बाद, कटाई करें और फसल को धूप में सुखाएं। सुखाई हुई फसल को भंडारण के लिए रखें।

कंगनी की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है। कंगनी की फसल से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। कंगनी का उपयोग कई प्रकार के व्यंजनों में किया जा सकता है। इसके अलावा, कंगनी को चारा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

कंगनी की खेती के लाभ:


कंगनी की खेती के लिए आवश्यक सावधानियां:

कंगनी के उपयोग:

कंगनी की खेती के भविष्य की संभावनाएं:

कंगनी एक पौष्टिक अनाज है और इसका उपयोग कई प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। इसके अलावा, कंगनी को चारा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।इसके अलावा मॉडर्न युग में मिल्लेट्स की डिमांड्स तेजी से बढ़ रही है, इसलिए, कंगनी की खेती के भविष्य की संभावनाएं काफ़ी अच्छी है


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