रागी की खेती एक लाभदायक व्यवसाय भी हो सकता है। यदि आप इस फसल को उगाने में रुचि रखते हैं, तो आपको इन कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना होगा

रागी एक महत्वपूर्ण मिलेट फसल की श्रेणी में आती है जो भारत और अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से उगाया जाता है। यह एक छोटे से अनाज है जो अपनी उँगली जैसी आकृति के कारण इसे फिंगर बाजरा नाम से जाना जाता है। रागी एक पौष्टिक अनाज है जो प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है। यह ग्लूटेन मुक्त भी है, जो इसे सेलियाक रोग या ग्लूटेन एलर्जिक वाले व्यक्तियों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाता है।

रागी की खेती अपेक्षाकृत आसान है और इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। यह एक सूखा-सहिष्णु फसल है और इसे कम पानी की आवश्यकता होती है। रागी का मौसम जुलाई से सितंबर के बीच होता है।

रागी की खेती के लिए मिट्टी तैयार करना:

रागी की खेती के लिए मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करना आवश्यक है। मिट्टी को दो से तीन बार जोतना चाहिए और फिर समतल करना चाहिए। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक मिलाना चाहिए।

रागी के बीज की बुवाई:

रागी के बीज को 2.5 से 3 सेमी की गहराई में और 15 सेमी की दूरी पर बुआई की जानी चाहिए। बीजों को 2 से 3 दिनों में अंकुरित होना चाहिए।

रागी की सिंचाई:

रागी को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, खासकर शुरुआती विकास के चरणों में। फसल को 10 से 15 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए।

रागी की निराई-गुड़ाई:

रागी की फसल को निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है ताकि इसे किसी भी अवांछित पौधों(ख़त पतवार) से मुक्त रखा जा सके। निराई-गुड़ाई को दो से तीन बार करना चाहिए।

रागी की कटाई:

रागी की फसल को लगभग 80 से 90 दिनों में काटा जा सकता है। फसल को तब काटा जाना चाहिए जब फसल के दाने पूरी तरह से परिपक्व हो जाएं।

रागी की उपज:

रागी की उपज प्रति हेक्टेयर 10 से 15 क्विंटल के बीच हो सकती है।

रागी के फायदे:

रागी एक पौष्टिक अनाज है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है। रागी ग्लूटेन मुक्त भी है, जो इसे सेलियाक रोग या ग्लूटेन एलर्जिक वाले व्यक्तियों के लिए एक बेहद अच्छा विकल्प बनाता है।

रागी के फायदे निम्नलिखित हैं:

रागी का उपयोग:

रागी का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जा सकता है। इसे दलिया, रोटी, खिचड़ी, इडली, डोसा आदि में बनाया जा सकता है। रागी का पाउडर भी बनाया जा सकता है और इसे दूध, दही या पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।

रागी की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:

रागी की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स निम्नलिखित हैं:


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