5 अप्रैल 2023 को स्टैंड अप इंडिया योजना सफलतापूर्वक अपने सात साल पूरे कर रही है जानिये क्या है वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र सिंह रावत की राय
भारत जैसे विशाल एवं प्रगतिशील लोकतंत्र में जन कल्याण के व्यापक उत्थान हेतु अनेक सरकारी योजनाओं का क्रियान्वन किया गया है जिससे समाज के प्रत्येक तबके का समग्र विकास हो सके।
इन सरकारी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य आम लोगों खासकर प्रगतिशील युवाओं को रोजगार और समसामयिक जीवन यापन के सहज एवं सुलभ साधन मुहैया कराना है।
इस परिपेक्ष में, पिछले 8-9 वर्षों में, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत, नें जनता की व्यापक खुशहाली हेतु अपने प्रयासों में निरंतर प्रगति की है और विश्व पटल पर अपनी साख भी स्थापित की है।
देश में भिन्न-भिन्न सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य के सन्दर्भ में, केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती रहती है कि कैसे गरीब एवं निचले तबके को समयबद्ध तरीके से समाज की मुख्यधारा से जोड़ कर उनके आर्थिक उत्थान का मार्ग खोला जाए।
ऐसी ही योजनाओं में एक वृहत योजना ‘स्टैंड अप इंडिया’ है, जिसके अंतर्गत देश के प्रत्येक बैंक शाखा द्वारा Rs 10 लाख से लेकर Rs एक करोड़ तक का ऋण कम से कम एक अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या महिला उद्यमी को किसी नए उद्यम या व्यापार हेतु देने का प्रावधान है।
वीरेंद्र सिंह रावत मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार है, आर्थिक विषयों के जानकार और प्रतिष्ठित समाचार संस्थान बिज़नेस स्टैण्डर्ड में कार्यरत है
5 अप्रैल, 2023 को स्टैंड अप इंडिया योजना सफलतापूर्वक अपने सात साल पूरे कर रही है। इस दौरान, इस योजना ने कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किये और कई नए आयाम स्थापित किये हैं। वैश्विक त्रासदी कोविड-19 के कठिन दौर में भी इस योजना नें देशभर में अपने कार्यों को निर्बाध रूप से जारी रखा और अपने लक्षित लाभार्थी वर्ग को ऋण उपलब्ध कराया।
इस दौरान, जहाँ एक ओर विश्व के अग्रणी विकसित और विकासशील देश कई प्रकार की आर्थिक चुनौतियों से रूबरू रहे, वहीँ भारत अपनी पुख्ता नीतियों एवं मज़बूत कार्ययोजना के बल पर आर्थिक रूप से सशक्त हो कर विश्व में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन कर उभरा है। इस सन्दर्भ में, स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं नें भारत के युवा वर्ग के लिए तरक्की के रास्ते खोल दिए।
‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना के अंतर्गत ऋण विनिर्माण एवं सेवा दोनों क्षेत्र के उद्यम हेतु ग्रहण किया जा सकता है। ऐसे उद्यम कृषि एवं कृषि सम्बंधित क्षेत्र या फिर व्यापार जैसे उद्यम हेतु लिया जा सकता है।
अगर ‘स्टैंड अप इंडिया’ द्वारा लिया गया ऋण किसी गैर-व्यक्तिगत (Non-individual) उद्यम में लगाया जाता है तो ऐसे उद्यम में कम से कम 51% शेयर पूंजी (shareholding) एवं मालिकाना हक़ (controlling stake) किसी अनुसूचित जाति, जनजाति या महिला उद्यमी के पास होना आवश्यक है।
यह योजना, देशभर में स्थित सवा लाख से ज्यादा बैंक शाखाओं के माध्यम से लाखों न्यूनतम खाताधारकों एवं उधारकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रही है। स्टैंड अप इंडिया योजना, SC, ST और महिला उद्यमियों को क्रेडिट गारंटी (credit guarantee), हैंड होल्ड सपोर्ट (hand hold support) और फाइनेंस (finance) जैसे विषयों पर सुलभ जानकारी प्रदान करने के लिए एक आधुनिक डिजिटल (digital) पटल की तरह भी काम करती है।
इस केंद्रीय योजना के अंतर्गत उद्यमियों को प्रदान करने वाली अतिरिक्त सेवाओं में शामिल हैं – प्रशिक्षण, परामर्श, मार्गदर्शन, कौशल विकास आदि।
सरकार को अब तक, स्टैंड अप इंडिया योजना के अंतर्गत देशभर में Rs 47,970 करोड रुपए के 2,04,400 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन प्राप्त आवेदनों में से अब तक Rs 41,400 करोड़ ऋण के 1,83,890 आवेदन अनुमोदित भी किए जा चुके हैं।
इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने करीब 24,600 से अधिक हैंड-होल्डिंग (handholding) संस्थाओं को इस वृहद योजना से जोड़ा है और 82 वित्तीय संस्थाओं के द्वारा ऋण उपलब्ध कराने का कार्य संपादित किया है।
प्राप्त आवेदनों के जल्द निस्तारण और लाभार्थियों को सुविधाजनक रूप से ऋण उपलब्ध कराने हेतु सरकार ने देशभर में 1,37,236 बैंक शाखाओं को स्टैंड अप इंडिया में समाहित किया है जिसका लाभ लक्षित वर्ग को त्वरित लाभ पहुंचाने में किया जा रहा है।
स्टैंड अप इंडिया योजना के अंतर्गत सिडबी (SIDBI) एवं नाबार्ड (NABARD) जैसी अव्वल दर्जे की केंद्रीय पुनर्वित्त (refinance) संस्थाएं एक अभूतपूर्व योगदान दे रही हैं जिससे देश में एक उद्यम क्रांति का उदय हो चुका है।
स्टैंड अप इंडिया योजना, 5 अप्रैल, 2016 को पटल पर उतारी गयी थी। 2019-20 में सरकार ने स्टैंड अप इंडिया योजना को 15वीं वित्त आयोग (Finance Commission) की पूर्ण अवधि यानी 2020-25 तक बढ़ाने का फैसला किया था। इसके साथ ही स्टैंड अप इंडिया में कई दूरगामी बदलाव एवं सुधार भी किए गए जिससे इसका लाभ अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचे और योजना के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्यों की समपूर्ण प्राप्ति समयानुरूप हो सके।
स्टैंड अप इंडिया के अंतर्गत सरकार ऋण आकर्षक ब्याज दर पर उपलब्ध कराती है तथा लोन अवधि भी 7 महीने से 18 महीने तक रहने का प्रावधान रहता है। लाभार्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए और ऋण केवल ग्रीन फील्ड (greenfield) परियोजनायों यानी केवल नए व्यवसाय या उद्यम के लिए ही मान्य होता है। स्टैंड अप इंडिया स्कीम में मार्जिन अधिकतम 25% तक रहता है जिससे एक बड़ा तबका इसका लाभ उठाने में सक्षम हो पाता है।
स्टैंड अप इंडिया ऋण आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज
- पासपोर्ट आकार की छायाचित्र (photograph)
- पहचान प्रमाण पात्र जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड आदि
- निवास प्रमाण पत्र जैसे मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, नवीनतम बिजली या टेलीफोन बिल आदि
- व्यवसाय का पता एवं प्रमाण
- कंपनी का मेमोरेंडम ऑफ ऐसोसिएशन (memorandum of association)
- पार्टनरशिप डीड (partnership deed)
- पट्टे (lease agreement) या किरयेदारी अनुबंध (rent agreement) की प्रति
विभिन्न उद्यम के अनुरूप एवं प्रकार पर निर्भर करता है कि लाभार्थी द्वारा स्टैंड अप इंडिया के आवेदन हेतु कौन-कौन से प्रमाण पत्र एवं दस्तावेज़ मान्य होंगे।
यह सर्वविदित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सामने 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने का महत्वकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इस वृहद लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चल रही है जो कि केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों के समन्वय एवं सहयोग के बिना संभव नहीं है। इस परिपेक्ष, में स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाएं सरकार को न्यायपूर्ण ढंग से विभिन्न वर्गों को आर्थिक गतिविधि के साथ प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने का कार्य कर रही है।
यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि स्टैंड अप इंडिया भारत की एक बेहतरीन योजना बन के उभरी है जिसने आर्थिक रूप से निशक्त वर्ग के लक्षित सशक्तीकरण को गति देने के लिए काम किया है और रोजगार के अवसर सृजित करने में मदद की है।
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