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योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा- सीएम योगी के नेतृत्व में राज्य में इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण के एक नये ईकोसिस्टम को जन्म दिया गया है

लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, प्रदेश को 2027 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य के चहुमुखी सामाजिक-आर्थिक विकास में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस दिशा में कार्य करते हुए योगी सरकार यूपी को डिजिटल अर्थव्यस्था वाला राज्य बना रही है। इसके लिए राज्य सरकार प्रदेश में प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे में सुधार कर रही है। साथ ही इसमें युवाओं को अधिक भागीदारी के लिए तैयार किया जा रहा है। यह बातें उत्तर प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने “यूपी इन्वेस्टर्स समिट- 2023″ में “उत्तर प्रदेशः डिजाइनिंग एण्ड मैन्युफैक्चरिंग इन इण्डिया, फॉर दि वर्ल्ड” सत्र के दौरान कहीं।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में आरम्भ की गई इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति ने राज्य में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में राज्य में इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण के एक नये ईकोसिस्टम को जन्म दिया गया है। कार्यान्वयन में सुगमता सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति 2020 को निवेशकों की आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधित किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार द्वारा सेमीकण्डक्टर इकाइयों में निवेश आमंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर चलाये गये आउटरीच कार्यक्रम से वैश्विक निवेशक समुदाय में अत्यधिक रुचि उत्पन्न हुई है और इस क्षेत्र में निवेश के लिए कई प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। सरकार इन परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ काम कर रही है।

सत्र के दौरान हुई चर्चा में तमाम पैनलिस्ट मौजूद रहे जिसमें यह बात भी उभर कर आई भारत में इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण का विकास अति उच्च गति से हो रहा है इलेक्ट्रानिक्स वस्तुओं का घरेलू उत्पादन 2015-16 में 2,43,263 करोड़ रूपये (37 बिलियन अमेरिकन डॉलर) से बढ़कर 2020-21 में 5,54,461 करोड़ रूपये (74.7 बिलियन अमेरिकन डॉलर) हो गया जोकि 17.9 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर है।

“उत्तर प्रदेशः डिजाइनिंग एण्ड मैन्युफैक्चरिंग इन इण्डिया, फॉर दि वर्ल्ड” सत्र का उद्देश्य इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए राज्य के अवसरों और नीतियों को उजागर करना और विकास की सम्भावनाओं, चुनौतियों और आगामी रणनीतियों पर विचार–विमर्श किया जाना था।


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