कथक लखनऊ की प्रसिद्ध रियासत का एक एहम हिस्सा रहा है। इसका श्रेय नवाब वाजिद अली शाह को भी जाता है

लखनऊ, शनिवार 21 जनवरी को महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल का पांचवाँ एवं आख़िरी कर्टेन रेसर शहरवासियों के सामने प्रस्तुत किया गया। आगामी फेस्टिवल का चौदहवां संस्करण ३ से ७ फरवरी २०२३ को आयोजित किया जायेगा। इस वर्ष फेस्टिवल की थीम रक़्स-ओ-मौसिकी है जिसके अंतर्गत लखनऊ शहर की प्राचीन और विविध संस्कृति के दो पहलु- नृत्य और संगीत को कई प्रकार से दर्शाया जायेगा।

कथक लखनऊ की प्रसिद्ध रियासत का एक एहम हिस्सा रहा है। इसका श्रेय नवाब वाजिद अली शाह को भी जाता है जो स्वयं कथक में निपुण थे और अपने छेत्र के कलाकारों का सदैव उत्साह बढ़ाते थे। कालका-बिन्दादीन घराना एक ऐसा नाम है जिसकी शुरुआत उन्हीं दिनों हुई और आज यह लखनऊ कथक घराना कहलाता है। पंडित बिरजू महाराज ने इस संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए कथक को विश्व भर में पहचान और प्रशंसा दिलाई। महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल का कर्टेन रेसर उसी मंदिर में आयोजित किया गया जिसमें लखनऊ घराने के सभी वरिष्ठ कलाकारों ने प्रस्तुति दी है। भैरव बाबा का यह मंदिर बिन्दादिन की ड्योरि के पास स्थित है और कथाकार- पंडित अनुज अर्जुन मिश्रा द्वारा प्रस्तुति, एक पहल थी लखनऊ की भूली-बिसरि यादों को फिर ताज़ा करने की। पंडित अनुज अर्जुन मिश्रा बनारस घराने के पंडित अर्जुन मिश्रा के पुत्र अवं पंडित बिरजू महाराज के शिष्य हैं। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी नेहा सिंह मिश्रा, मैत्री चौहान और कुछ चुनिंदा शिष्यों ने प्रस्तुति दी जिनका नाम अंकिता चक्रवर्थी, आरती बघेल, श्रेया वर्मा, सृष्टि टंडन और विवेक वर्मा है। हारमोनियम , तबला और सितार पर संगत करते दिखाई दिये मो. आरिफ़, विकास मिश्रा और डॉक्टर नवीन मिश्रा। लखनऊ कथक घराने के पंडित राम मोहन महाराज भी इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर सबका साहस बढ़ाया। पंडित अनुज अर्जुन मिश्रा ने इस उपलक्ष पर कहा कि ये उनकी तरफ से एक हाज़िरी है अपने गुरु और पिता जी के लिए और उन्हें आशा है की ऐसे कार्यक्रमों को देख कर आगामी पीढ़ियां भी कथक को सीखने और समझने में रुचि लेंगी।


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