Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the health-check domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/j1pf0zwyqhkx/postinshort.in/wp-includes/functions.php on line 6121
Teachers Day :पुरस्कार सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि नई जिम्मेदारी है : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ। पुरस्कार सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि नई जिम्मेदारी है। जिम्मेदारी इस बात की कि अब आपकी प्रतिस्पर्धा स्वयं से है। जितना किया है, अब उससे आगे बढ़कर दूसरों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना है। मीडिया में अक्सर कुछ निगेटिव खबरें आती हैं, लेकिन हम उसे उस परिप्रेक्ष्य में नहीं देखते। अक्सर देखने में आता है कि स्कूल में बच्चों से झाड़ू लगवाई जा रही है पर यह बुरा नहीं है। शिक्षक भी बच्चों के साथ इससे जुड़ें। घर में झाड़ू-पोछा लगाना क्या बुराई है। अपना कार्य करना स्वावलंबन है। स्कूल में झाड़ू लगाना कहां से बुरा है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में कहीं। कार्यक्रम में सीएम ने आठ प्रधानाचार्यों, अध्यापकों को राज्य पुरस्कार-21 से सम्मानित किया। इस अवसर ने सीएम ने 5 पोर्टल का शुभारंभ किया। उन्होंने 39 नए हाईस्कूल व 14 इंटर कॉलेज का शिलान्यास भी किया। समारोह में माध्यमिक शिक्षा परिषद और कौशल विकास विभाग के बीच एमओयू साइन किया गया।

पहले ऐसे लोगों को पुरस्कार दिया जाता था जो स्कूल नहीं जाते थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले अक्सर पुरस्कार वह प्राप्त करता था, जो स्कूल नहीं जाता था। एक बार पुरस्कार वितरण इसलिए ही स्थगित करा दिया था। उस समय जो नाम आए थे, उन्हें मैं घूमते देखता था। तब मैंने पूछा कि इन्हें क्यों पुरस्कार दे रहे। वास्तविक शिक्षक इससे अपमानित महसूस करता है। यह लोग बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले हैं। चयन प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। जो ईमानदारी के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए राष्ट्र निर्माण के परिवर्तमान अभियान का हिस्सा बना रहा है। प्रधानाचार्य जिम्मेदारी व कार्यों के निर्वहन के साथ विद्यालय को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का केंद्रबिंदु बना रहे हैं, यह सम्मान उसी प्रक्रिया का हिस्सा है। सेवा विस्तार, निश्चित राशि, सुविधा मिल जाए, यह गौण है। नई जिम्मेदारी आ रही है। जिम्मेदारी इस बात की कि अब तक जो किया है, उससे आगे बढ़कर कार्य करना है औऱ नयापन करके दिखाना है। समाज को नया देना है। यह आत्मसंतुष्टि का माध्यम बनेगा। इस दिशा और प्रयास में ईमानदारी से बढ़ना होगा।

जब दुनिया कोरोना से त्रस्त थी, भारत राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन कर रहा था
सीमए ने कहा कि जब दुनिया कोरोना से त्रस्त थी, तब भारत पीएम मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन कर रहा था। 2020 में इसे देश में लागू किया गया। यह नीति सैद्धांतिक न होकर व्यावहारिक व तकनीकी ज्ञान से छात्र का सर्वांगीण विकास कर सकती है। जो अभियान प्रारंभ हुआ है, वह शिक्षा क्षेत्र में भारत को जगद्गुरु के रूप में स्थापित करने में सफल होगा।

नीति आयोग ने चिह्नित किए थे यूपी के 8 आकांक्षात्मक जिले
नीति आयोग ने यूपी के 8 आकांक्षात्मक जिले चिह्नित किए थे। उसके पैरामीटर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्किल डेवलेपमेंट आदि थे। इनमें देश के 112 में से 8 जनपद यूपी के थे। टॉप टेन में यूपी के 8 में से 5 व टॉप 20 में सभी 8 जनपद थे। अब 100 ऐसे विकास खंडों का चयन किया है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संसाधन, कृषि, स्किल डिपलेपमेंट, वित्तीय समावेशन आदि में पीछे हैं। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़कर सामान्य विकास खंडों की तर्ज पर विकसित करने की दिशा में कार्य प्रारंभ हुआ है। बेसिक व माध्यमिक में 5 वर्षों में प्रयास का परिणाम सामने है। मार्च 2017 में जब सरकार ने पदभार ग्रहण किया था। उस समय अधिकतर विद्यालय जीर्ण-शीर्ण या बंदी के कगार पर थे। उस समय माध्यमिक परीक्षाएं चल रही थीं। समाचार आते थे कि सामूहिक नकल होती थी। मैंने तत्कालीन उप मुख्यमंत्री व माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से निरीक्षण करने को कहा। थोड़ी सख्ती हुई। रिजल्ट थोड़ा खराब रहा। उसी समय लक्ष्य तय कर दिए गए थे कि 2018 में माध्यमिक, बेसिक, तकनीकी कहीं भी नकल नहीं होगी। हुई तो संबंधित प्रधानाचार्य-शिक्षक की जवाबदेही तय करेंगे। पठन-पाठन का माहौल पैदा किया गया। भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई। जहां भर्ती में देरी है, वहां सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवा ली गई। जहां वे कार्य के इच्छुक नहीं थे। वहां स्कूलों से कहा गया कि अंग्रेजी, गणित व विज्ञान के शिक्षक मानदेय पर रखें। 2017 के बाद नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की।

पूर्वोत्तर और मध्य भारत में शिक्षा देने यहीं से जाते थे शिक्षक
2018 में परीक्षा के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा शांतिपूर्ण, नकल विहीन हुई और समय पर हुई। एक महीने में रिजल्ट आया। परिणाम पहले से बेहतर आया। हमने पहल की थी कि पुरातन छात्र परिषद का गठन होना चाहिए। एक समय पूर्वोत्तर व मध्य भारत में शिक्षकों की आपूर्ति का केंद्र उत्तर प्रदेश होता था। यहां के शिक्षक मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, अरुणाचल, असम, मेघायल, मणिपुर, त्रिपुरा, उड़ीसा जाते थे। क्या कारण था कि शिक्षा की यह आधारभूमि कुंद हो गई। न सरकार ने ध्यान दिया, न हमने समय के अनुरूप खुद को ढालने का प्रयास किया और न ही किसी ने जिम्मेदारी लेने का प्रयास किया। जवाबदेही के साथ कार्रवाई हुई तो परिणाम सामने आएं हैं।

कोरोना में भी नहीं रुकी पढ़ाई
बेसिक में 1.26 लाख तथा माध्यमिक में 40 हजार से अधिक शिक्षकों की पारदर्शी भर्ती हुई। परिणाम सबके सामने है। बेसिक या माध्यमिक में पठन-पाठन का माहौल बना। 2017 में स्कूल चलो अभियान के परिणाम सामने हैं। कोरोना में भले ही ढाई वर्ष व्यतीत किए। दुनिया पस्त हुई तो शिक्षा भी सर्वाधिक प्रभावित हुआ। जब जीवन बचाने का प्रश्न था, तब भी तकनीकी का उपयोग करने का प्रयास हुआ। पोर्टल विकसित कर ऑनलाइन शिक्षा दी गई। दूरदर्शन ने तमाम चैनल प्रारंभ किए। 5 वर्ष में सबसे सुखद अनुभूति होती है। 2017 के पहले 2016 के आंकड़े देख रहा था तो बेसिक में 1.34 करोड़ बच्चे पढ़ रहे थे। अब यह आंकड़े 1.91 करोड़ हो गए हैं। यह अभियान सार्थकता को प्राप्त कर रहा है। बेसिक स्कूलों में बच्चों की बढ़ोतरी प्रमाणित करती है कि शिक्षा का स्तर बढ़ा है।

आज बुनियादी सुविधाओं से लैस हैं प्रदेश के सरकारी स्कूल
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए ऑपरेशन कायाकल्प चलाया गया। एक दिन बलिया जाना था तो मुख्य सचिव ने कहा कि मैं भी चलना चाहता हूं। वहां पहुंचा तो पता चला कि उन्होंने वहीं शिक्षा हासिल की और वहां की स्थिति देखना चाह रहे थे। क्या इन स्कूलों ने पुरातन छात्रों को पहचानने या जोड़ने का प्रयास किया। थोड़ा भी प्रयास कर लेते तो शासन की सहायता के बिना हर विद्यालय की कायाकल्प करते हुए बुनियादी सुविधा से संपन्न कर सकते थे। इसके लिए पहल की आवश्यकता है। शिक्षक सरकारी कर्मचारी ही नहीं होता, वह योजक होता है। राष्ट्र का निर्माता होता है। वह एक-एक को जोड़कर नींव मजबूत करता है। नयापन है तो अपने तरीके से दृष्टि देकर छात्र के सर्वांगीण विकास में किया जाने वाला प्रयास ऑपरेशन कायाकल्प का हिस्सा है। बेसिक शिक्षा परिषद के 1.33 लाख स्कूलों को जनसहभागिता के जरिए बुनियादी सुविधाओं से आच्छादित किया गया।

गांव में जाकर भ्रमण करें शिक्षक
कुछ विद्यालय ऐसे होंगे, जहां अभी पुरानी स्थिति होंगी पर मैंने मानता हूं कि 1.43 लाख में से 1.33 लाख विद्यालय के फर्श, फर्नीचर, पेयजल टायलेट, सोनर पैनल, स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी की सुविधा हैं। साथ ही प्रधानाचार्य, शिक्षकों व पुरातन छात्र परिषद, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने नया किया है। इसका परिणाम दिख रहा है। निपुण भारत इसी अभियान का हिस्सा है। पीएम की मंशा विद्यालय, ग्राम पंचायत, विकास खंड, जनपद, प्रदेश को निपुण बनाना है। इसी क्रम में 3 बच्चों का प्रदर्शन देखा है। य़ह अभियान सभी शिक्षक अपने हाथ ले लें। 30-40 बच्चों की जिम्मेदारी ले लें। गांव में एक-दो बार भ्रमण करें तो वहां की सामाजिक, आर्थिक परिस्थिति, इतिहास, बच्चों के बारे में जानकारी देने-लेने का माध्यम होगा। इससे शिक्षा व विद्यालय की बड़ी सेवा कर सकेंगे। संवाद के क्रम को बाधित नहीं होने देना है।


यह भी पढ़ें



प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *