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गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में निवेश व रोजगार का जरिया बनीं खांडसारी इकाइयां

नयी खांडसारी नीति के तहत अब तक 284 इकाइयों को लाइसेंस दिये जा चुके हैं।

लखनऊ। खांडसारी इकाइयों को लगाने की प्रक्रिया को आसान कर योगी सरकार ने गन्ना किसानों को बाजार का एक नया विकल्प दिया है। इससे स्थानीय स्तर पर निवेश तो हो ही रहा है। लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।
चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग से मिली अद्यतन जानकारी के अनुसार नयी खांडसारी नीति के तहत अब तक 284 इकाइयों को लाइसेंस दिये जा चुके हैं।
इनके लगाने में ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 1250 करोड़ रुपये का निवेश होगा। साथ ही 32 हजार लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा।

15 चीनी मिलों के बराबर होगी इनकी पेराई क्षमता

इन सबके संचलन पर इनकी कुल पेराई क्षमता 73,550 टीसीडी (टन क्रशिंग पर डे) होगी। यह 500 टीसीडी की करीब 15 चीनी मिलों के बराबर है। इस तरह से इस नई नीति से एक साथ कई लाभ हो रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार, निवेश के साथ चीनी मिलों पर पेराई का बोझ कम होना एवं भुगतान जैसे संवेदनशील मुद्दे का घटना आदि बोनस जैसा है।

नई खांडसारी नीति एवं इसमें देय सुविधाएं

दरअसल उत्तर प्रदेश के करीब 65 लाख किसान परिवार गन्ने की खेती से जुड़े हैं। इतनी संख्या होने की वजह से गन्ने की पेराई एवं भुगतान एक बेहद संवेदनशील मामला रहा है। योगी सरकार ने आते ही गन्ना किसानों की समस्याओं के स्थाई हल के लिए पहल की। इस क्रम में खांडसारी नीति में भी बदलाव किया गया।
पहले किसी चीनी मिल से किसी खांडसारी इकाई की 15 किमी (एयर डिस्टेंस) की दूरी पर होनी चाहिए थी। योगी सरकार ने इस दूरी को आधा कर दिया। पहले से स्थापित खाण्डसारी इकाइयों के पुर्नसंचालन के लिए निःशुल्क लाइसेंस नवीनीकरण की व्यवस्था की गई। नतीजा सामने है। यही नहीं गन्ने के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के मकसद से मुजफ्फरनगर और लखनऊ में गुड़ महोत्सव का भी आयोजन कराया गया। इस सबके बिना पर कह सकते हैं कि योगी सरकार के कार्यकाल में गांठ दर गांठ किसानों के लिए गन्ना मीठा होता गया।


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