लखनऊ। हाथ में तिरंगा, चेहरे पर विभाजन का दंश झेलने वालों के लिए दुःख और अपने मौन की ‘गूंज’ से 75 वर्ष पहले हुई विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी की याद दिलाने की कोशिश करता पैदल मौन मार्च। यह दृश्य रविवार को राजधानी के विधानभवन से सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रतिमा तक देखने को मिला। बंटवारे के दौरान अपनों को खोने के दर्द को महसूस करने और सबको याद दिलाने की कोशिश करते इस मार्च का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे थे। बगल में उनके दोनों डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य तो पीछे मंत्रियों का समूह और उनके साथ विभाजन की त्रासदी झेल चुके परिवारों के सदस्य मौन श्रद्धांजलि देते हुए चल रहे थे।  

मार्च आगे बढते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा तक पहुंचा। यहां सीएम योगी ने विभाजन के दंश को दर्शाती प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में विभाजन की त्रासदी से जुड़ी तस्वीरें और उससे संबंधित जानकारियों को जनता के लिये प्रदर्शित किया गया था। मुख्यमंत्री ने दोनों डिप्टी सीएम के साथ प्रदर्शनी का अवलोकन किया। 

विभाजन की त्रासदी झेल चुके परिवारों के सदस्यों ने सीएम से अपना दर्द भी बांटा। साथ ही बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में अपना सर्वस्व छोड़कर यहां आये परिवारों ने उन वस्तुओं को भी सीएम को दिखाया, जिन्हें वो अपने साथ लेकर आये थे। किसी के पास अपनी मां की याद से जुड़े सामान थे तो कोई पाकिस्तान से लेकर आये 1926 के बने बर्तनों को दिखा रहा था। भावुक कर देने वाली ये प्रदर्शनी सन् 1947 में हुई बर्बरता की याद तो दिला ही रही थी, साथ ही भारी कष्ट झेलकर पाकिस्तान से भारत आये शरणार्थी से पुरुषार्थी बने परिवारों के संघर्षों से भरी कहानी को भी बयां कर रही थी।  

आखिर में दोनों डिप्टी सीएम के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पहुंचे और राष्ट्रपिता को श्रद्धासुमन अर्पित किया।


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