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पांच साल में 4000 एफपीओ गठन का लक्ष्य

लखनऊ। किसानों का हित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शीर्ष प्राथमिकता रही है। अपनी इस प्रतिबद्धता को उन्होंने आजादी के अमृतमहोत्सव के दौरान दिए गए संबोधन में एक बार फिर दुहराया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 के अंत तक उत्तर प्रदेश के सभी ब्लाकों में किसानों की खुद की कंपनी (कृषक उत्पादक संगठन) होंगे। एक ब्लाक में एक या इससे अधिक कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) हो सकते हैं। इसके पहले भी सरकार अगले पांच साल में 4000 से अधिक एफपीओ के गठन का लक्ष्य तय कर चुकी है। 

लघु-सीमांत किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाएगा एफपीओ

मालूम हो कि वर्ष 2019 में लघु एवं सीमांत किसानों की आय में वृद्धि कर उनको आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त एवं समृद्ध बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की घोषणा की थी। उन्होंने इसकी शुरुआत भी चित्रकूट से की थी। उत्तर प्रदेश में लघु-सीमांत किसानों की संख्या सर्वाधिक (90 फीसद से अधिक) से अधिक है और किसानों का यह वर्ग शुरू से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चिंता का विषय रहा है। यही वजह है कि अपने पहले कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में उन्होंने इस वर्ग के किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर दिया था। एफपीओ के केंद्र में भी किसानों का यही वर्ग है, लिहाजा प्रदेश सरकार ने इसके लिए सबसे पहले पहल की।

राज्य सरकार द्वारा एफपीओ को प्रोत्साहन के लिए किए जा रहे कार्य

किसानों की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध प्रदेश की योगी सरकार एफपीओ को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। मसलन एफपीओ को समर्पित पोर्टल UPFPO SHAKTI शुरू करने वाला देश का पहला राज्य उत्तर प्रदेश ही है। इसी क्रम में सरकार ने एफपीओ के लिए विभागीय मेंटर भी नामित किया। एफपीओ की प्रगति की समीक्षा एवं समस्याओं के निस्तारण के लिए राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई रहमानखेड़ा तथा जिला प्रबंधन इकाई क्रियाशील है। रहमानखेड़ा में ही एफपीओ के प्रतिनिधियों एवं मेंटरों के लिए प्रशिक्षण की भी व्यवस्था है।

यही नहीं सरकार फसल विशेष के लिए भी एफपीओ का गठन कर रही है। इस क्रम में 625 एफपीओ के गठन का लक्ष्य रखा गया है। इस बावत ब्लाकों के चयन के साथ कार्यदायी संस्थाओं को इनका आवंटन भी हो चुका है।

क्या होता है एफपीओ

एफपीओ किसानों का एक समूह होता है। यह कृषि उत्पादन के साथ कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां भी पेशेवर कम्पनियों की भांति संचालित करता है। इसके लिए सरकार ने प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रखी है।

एफपीओ के लाभ

एफपीओ का रजिस्ट्रेशन कंपनी एक्ट में होता है। लिहाजा उसे वे सारे लाभ मिलते हैं जो किसी कंपनी को मिलते हैं। एफपीओ से जुड़े लघु व सीमांत किसानों को न सिर्फ अपनी उपज का बाजार मिलेगा बल्कि खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण आदि खरीदना आसान होगा। सेवाएं सस्ती मिलेंगी और बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। एक अकेले किसान के लिए ऐसा करना संभव नहीं।


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