छोटी कंगनी, जिसे खरपड भी कहा जाता है, एक पोषक तत्वों से भरपूर फसल है जो बेहद सेहतमंद है. इस लेख में, हम छोटी कंगनी की खेती, इसके सेहत से जुड़े फायदे और अन्य उपयोगों के बारे में जानेंगे

भारत में ब्राउनटॉप मिलेट को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि हिंदी में “छोटी कंगनी” (Choti Kangni), खरपड। इसका वैज्ञानिक नाम Brachiaria ramosa है और इसे तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटका जैसे राज्यों में पलापुल (Palapul), कोराले (Korale), अंडकोरा (Andakorra) जैसे नामों से भी जाना जाता है।

छोटी कंगनी या कोरले एक गर्म मौसम की फसल है जो भारत में व्यापक रूप से उगाई जाती है। यह एक बहुउद्देश्यीय फसल है जिसका उपयोग अनाज, चारा, भू-क्षरण नियंत्रण और वन्यजीव आकर्षण के लिए किया जाता है। छोटी कंगनी एक पोषक तत्वों से भरपूर फसल है जो कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम का एक अच्छा स्रोत है। यह gluten-free भी है, जिससे यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो gluten से intolerant हैं।

छोटी कंगनी की खेती की विधि:

छोटी कंगनी की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। यह फसल 60-70 सेमी की अच्छी गहराई वाली मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है। छोटी कंगनी की खेती के लिए pH 6.5-7.5 का मान आदर्श होता है।

छोटी कंगनी की बुवाई के लिए दो समय सबसे उपयुक्त हैं:

1-जून-जुलाई में खरीफ मौसम में

2-सितंबर-अक्टूबर में रबी मौसम में

बुवाई से पहले बीज को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोना चाहिए। बुवाई 6-8 सेमी की गहराई पर की जानी चाहिए। प्रति हेक्टेयर 10-12 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।

छोटी कंगनी की फसल को 1-2 बार निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। फसल को 2-3 पानी की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 10-15 दिनों के बाद और दूसरी सिंचाई फसल के पकने से 15-20 दिनों पहले की जानी चाहिए।

छोटी कंगनी की फसल की कटाई:

छोटी कंगनी की फसल को पकने के बाद कटाई की जानी चाहिए। फसल को 2-3 दिन तक धूप में सुखाया जाता है और फिर इसे दाने के रूप में भंडारण किया जाता है।

छोटी कंगनी के लाभ:

छोटी कंगनी एक पोषक तत्वों से भरपूर फसल है जो कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी है। छोटी कंगनी में उच्च फाइबर और प्रोटीन सामग्री होती है। यह एक अच्छा source of calcium, phosphorus, magnesium, iron, and zinc भी है। छोटी कंगनी gluten-free भी है, जिससे यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो gluten से intolerant हैं।

छोटी कंगनी के सेहत से जुड़े कुछ फ़ायदे इस प्रकार हैं:

हृदय स्वास्थ्य में सुधार: छोटी कंगनी में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं. फाइबर रक्तचाप को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है, जबकि एंटीऑक्सीडेंट हृदय को नुकसान से बचाते हैं.

पाचन में सुधार: छोटी कंगनी में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है. फाइबर भोजन को पचाने में मदद करता है और कब्ज को रोकता है.

वजन घटाने में मदद करता है: छोटी कंगनी में कैलोरी की मात्रा कम होती है और फाइबर भरपूर होता है, जो वजन घटाने में मदद करता है. फाइबर भोजन को पचाने में मदद करता है और आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे आपको कम खाने की इच्छा होती है.

रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है: छोटी कंगनी में फाइबर भरपूर होता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. फाइबर भोजन को पचाने में मदद करता है और रक्त में शर्करा के स्तर को स्थिर रखता है.

कैंसर से बचाता है: छोटी कंगनी में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं, जो कैंसर से बचाते हैं. एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं और कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं.

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: छोटी कंगनी में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व भरपूर होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं. विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है.

छोटी कंगनी एक पौष्टिक और बहुउद्देश्यीय अनाज है, जो कई हेल्थ बेनिफ़िट्स से जुड़ा है. यह एक अच्छा विकल्प है उन लोगों के लिए जो अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहते हैं.

छोटी कंगनी की आर्थिक रूप से:

छोटी कंगनी एक लाभदायक फसल है। इसकी खेती से किसानों को अच्छी आय होती है। छोटी कंगनी का दाना अनाज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी भूसी को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। छोटी कंगनी की पत्तियाँ हरी खाद के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं।

छोटी कंगनी की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण फसल है। यह एक पोषक तत्वों से भरपूर फसल है जो कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी है। छोटी कंगनी एक लाभदायक फसल भी है। इसकी खेती से किसानों को अच्छी आय होती है।

छोटी कंगनी के अन्य उपयोग:

छोटी कंगनी का उपयोग कई अन्य तरीकों से भी किया जाता है। इसके दाने से दलिया, खिचड़ी, रोटी, बिस्कुट और अन्य खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं। इसकी भूसी से चारा, ब्रश, और अन्य सामग्री बनाई जाती है। छोटी कंगनी की पत्तियाँ हरी खाद के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं। इसके अलावा, छोटी कंगनी का उपयोग जैविक कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है


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