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मैनपुरी का मन, विकास की राह पर योगी के संग

लखनऊ, विकास की राह पर अग्रसर मैनपुरी का मन योगी आदित्यनाथ के संग है। इसका कारण योगी आदित्यनाथ सरकार की भेदभाव रहित नीतियां और उसका क्रियान्वयन है। समाजवादी पार्टी के गढ़ रहे मैनपुरी समेत आसपास के इलाकों में पहले सरकारी योजनाओं का बंदरबांट होता था। लाभार्थियों के लिए कुछ अघोषित मानक तय थे। घर-परिवार, रिश्तेदार, बिरादरी और वर्ग विशेष के बाद ही किसी और का नंबर आता था। सच तो यह है कि इनके बाद आम आदमी का नंबर आ ही नहीं पाता था। यही स्थिति सरकारी नौकरियों की भी थी। ऊपर से जाति विशेष की अराजकता अलग से।
पहली बार इस पूरे क्षेत्र के लोगों ने “विकास सबका, तुष्टीकरण किसी का नहीं” सबका साथ, सबका विकास जैसे नारे को जमीन पर चरितार्थ होते हुए देखा। जाति विशेष एवं वर्ग विशेष की अराजकता से राहत की सांस ली। कानून व्यवस्था क्या होती है, इसका अहसास किया।
यही वजह है कि पिछले सभी चुनावों में योगी आदित्यनाथ की अगुआई में भाजपा ने इस पूरे क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया। विधानसभा चुनाव के पहले चरण में जिन सीटों पर चुनाव हुआ था, उनके नतीजे इसके प्रमाण रहे।

साढ़े पांच साल में मैनपुरी में 480000 लाख रुपये की लागत से हुए 79 विकास कार्य
मैनपुरी के विकास की बात करें तो योगी सरकार बनने के बाद पिछले करीब साढ़े पांच साल में करीब 26000 लाख रुपये की लागत से विकास की 50 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। 22000 लाख रुपये की 29 परियोजनाएं या तो निर्माणाधीन हैं या इन्हें सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से लाभान्वित होने वाले 3.61 लाख किसानों के खातों में 800 करोड़ रुपये सीधे जा चुके हैं। यही नहीं, प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास, निजी या सामुदायिक शौचालय, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ, कन्या सुमंगला, निशुल्क बिजली एवं गैस कनेक्शन आदि का लाभ बिना भेदभाव के पूरी पारदर्शिता के साथ हर पात्र को मिला है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में यहां की स्थानीय फसल मक्के को लाने का लाभ किसानों को हुआ है। यही वजह है कि अबकी बार मैनपुरी के लोगों के मन में योगी ही हैं।

अखिलेश की आत्मकेंद्रित राजनीति पर यकीन नहीं
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की आत्मकेंद्रित एवं आरामतलबी वाली राजनीति की वजह से स्थानीय लोगों को उन पर भरोसा नहीं है। वह उनके द्वारा स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की सार्वजनिक बेइज्जती, मुलायम सिंह के संघर्ष के दिनों के साथी और सपा के मौजूदा संगठन के शिल्पी चाचा शिवपाल यादव को पार्टी से दूध की मक्खी की तरह निकालकर फेंकते हुए भी देखा है। सवाल तो यह भी उठ रहा है कि उपचुनाव में प्रचार में न उतरने की परिपाटी पत्नी डिंपल यादव के चुनाव में उतरने में ही क्यों टूटी। आजमगढ़ भी तो स्वर्गीय मुलायम सिंह की ही विरासत थी। उस समय यह क्यों नहीं टूटी? कुल मिलाकर मैनपुरी के लोग असमंजस में हैं, पर उनके मन में योगी और योगी सरकार का विकास ही है।

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