पशुओं के चारे, पानी, सुरक्षा, साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था को भी किया जाए सुनिश्चित
- सीएम योगी ने पशुपालन विभाग को दिए गौ संरक्षण केंद्रों के रख रखाव के निर्देश
- 31 जनवरी 2023 तक समस्त गोआश्रय स्थलों को पूर्ण करने का आदेश
लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौ-संरक्षण केंद्रों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के दिशा-निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं प्रदेश के गौ-संरक्षण केंद्रों में पशुओं के चारे, पानी, सुरक्षा, सफाई की पूरी व्यवस्था भी सुनिश्चित करने को कहा है।
सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में गौशालाओं की व्यवस्था की गई है, जहां पशुओं की देखभाल की जाती है। इसके अलावा बेसहारा पशुओं को संरक्षण देने के लिए व्यक्तिगत तौर पर भी किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनके लिए चारे से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाओं के लिए सीएम के स्पष्ट निर्देश हैं और एक बार फिर उन्होंने व्यवस्था को चाक चौबंद करने के आदेश दिए हैं।
चारे से लेकर चिकित्सा तक हों सारे प्रबंध
सीएम योगी ने पशुपालन विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि गौशालाओं में पशुओं को ठंड से बचाने तथा स्वास्थ्य की देखभाल के पुख्ता इंतजाए किए जाएं। उनके लिए चारे का उपयुक्त प्रबंध हो और उनकी दवाएं व चिकित्सा के अन्य साधन उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही 31 जनवरी 2023 तक समस्त गोआश्रय स्थलों को पूर्ण कर लिया जाए और क्रियाशील कर 31 मार्च 2023 तक संरक्षित करना सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा गो आश्रय पोर्टल पर डाटा दैनिक रूप से अपडेट किया जाय। डिस्ट्रीक्ट प्रोजेक्ट मॉनीटीरिंग यूनिट की स्थापना जिन जनपदों में नहीं हुई है, तत्काल स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। भरण-पोषण के लिए उपलब्ध कराई गई धनराशि को यू सी प्रेषित करें। गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रयास किया जाए। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में 11,13,035 कुल निराश्रित गोवंश हैं,। इनमें 9,05893 कुल संरक्षित गोवंश हैं। प्रदेश में 49 जनपदों में गोआश्रय स्थल बनाया गया है।
पशुओं को सहारा देने वाले किसानों को किया जा रहा प्रोत्साहित
राज्य सरकार द्वारा 2012 में की गई पशुगणना के अनुसार यूपी में 205.66 लाख गोवंश हैं जिनमें से 11 लाख से ज्यादा गोवंश बेसहारा या निराश्रित हैं। किसान अगर 10 पशुओं को सहारा देता है, तो प्रतिदिन के हिसाब से वह 300 रूपये कमा सकता है। और हर महिना 9 हजार की अतिरिक्त आय किसान को मिलेगी। इस योजना से सामाजिक सहभागिता बढ़ेगी व निराश्रित व बेसहारा गोवंश की संख्या में कमी आएगी। यह योजना किसानों व पशुपालकों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बना सकेगी।
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