राज्य आपदा प्रबंधन प्रधिकारणों के दो दिनी तृतीय क्षेत्रीय सम्मेलन का मुख्यमंत्री योगी ने किया उद्घाटन
- यूपी में कभी 38 जिलों तक फैली थी बाढ़ आपदा, आज 04 जिलों तक सिमटी: मुख्यमंत्री
- बोले सीएम योगी, नदियों को चैनलाइज कर यूपी ने निकाला बाढ़ आपदा का हल
- आपदा से बचने को बढ़ानी होगी जागरूकता-सतर्कता, स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल हो आपदा प्रबंधन: मुख्यमंत्री
- आपदा मित्रों की भूमिका को सीएम ने सराहा, कहा इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत
- आकाशीय बिजली से बचाव और सड़क दुर्घटनाओं को कम करना बड़ी चुनौती, करने होंगे ठोस प्रयास: मुख्यमंत्री
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न आपदाओं से बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता को बढ़ाये जाने की जरूरत बताई है। आपदा प्रबंधन को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने पर बल देते हुए उन्होंने कहा है कि अगर लोगों को यह पता होगा कि बाढ़, भूकम्प, आकाशीय बिजली, अग्निकांड आदि के समय उन्हें कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए, तो निश्चित ही बड़ी जनहानि से बचा जा सकता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आयोजित विभिन्न राज्यों के आपदा प्रबंधन प्रधिकरणों के इस दो दिनी तृतीय क्षेत्रीय सम्मेलन में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने मिर्जापुर और सोनभद्र जैसे जिलों में आकाशीय बिजली से होने वाली जनहानि की जानकारी देते हुए इसे रोकने के लिए अलर्ट सिस्टम को और बेहतर करने की आवश्यकता भी जताई। मुख्यमंत्री ने आपदाओं की रोकथाम में आपदा मित्रों की भूमिका की सराहना करते हुए इस कार्य में ग्राम पंचायतों को जोड़ने और आपदा मित्रों की संख्या बढ़ाने पर भी बल दिया।
दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र भारतीय मनीषा में बताए गए तीन प्रकार की आपदाओं (आदि दैविक, आदि भौतिक और आदि दैहिक) का संदर्भ लेते हुए सीएम ने तीनों के संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की चर्चा भी की। उत्तर प्रदेश की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हर साल बड़ी जन-धन हानि का कारण बनती रही बाढ़ आपदा के स्थायी समाधान के लिए जारी प्रयासों से भी सभी को अवगत कराया। सीएम ने कहा कि कुछ साल पहले तक यूपी के 38 जिले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते थे। व्यापक तौर पर जनधन की हानि होती थी। आज यह मात्र 04 जिलों तक सिमट कर रह गई है। इस सफलता के पीछे के प्रयासों को साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में जब सरकार बनी तो उनके पास बाढ़ बचाव के संबंध में एल्गिन ब्रिज से जुड़ी ₹100 करोड़ खर्च की फाइल आई। इतनी बड़ी राशि हर साल एक जगह खर्च होती थी। ऐसे में उन्होंने खुद इस स्थल का निरीक्षण किया और नदी की ड्रेजिंग कर चैनेलाइज कराने का निर्णय लिया। नतीजा, बहराइच, गोंडा और बाराबंकी बाढ़ से बचे ही, ₹100 करोड़ के खर्च की जगह मात्र ₹5 करोड़ खर्च हुए।
लापरवाही से होती हैं सड़क दुघर्टनाएं, रोकना बड़ी चुनौती
राज्यों के आपदा प्रबंधन प्रधिकारणों के इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं की ओर भी सभी का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना, जिसने पूरी दुनिया को बांध कर रख दिया था, उससे उत्तर प्रदेश जैसी बड़ी आबादी वाले राज्य में अब तक 30 हजार लोगों की मृत्यु हुई है लेकिन सड़क दुर्घटनाओं के कारण हर साल करीब 22 हजार लोग असमय काल-कवलित हो जाते हैं। इसके पीछे कहीं-कहीं खराब रोड इंजीनियरिंग का कारण सम्भव है पर हेलमेट, सीटबेल्ट का प्रयोग न करना, शराब पीकर वाहन चलाना, ओवर स्पीडिंग सबसे बड़े कारण हैं। इसे रोकने के लिए हमें जागरूकता बढ़ानी होगी। दो दिनी क्षेत्रीय सम्मेलन की सार्थकता के लिए शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि
उत्तर भारत के 09 ऐसे राज्य हैं जो आपदाओं से प्रायः प्रभावित होते रहे हैं। इन्हें न्यूनतम करने के लिए यूपी जैसे देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में आयोजित यह दो दिनी अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित सम्मेलन में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश राज्यों के प्रतिनिधि, आपदा प्रबंधन से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधि व विषय विशेषज्ञों की सहभागिता भी रही।
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